बिहार: जदयू ने पार्टी प्रमुख के इस्तीफे की अफवाहों को खारिज किया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 27, 2023

बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने उन अफवाहों को मंगलवार को खारिज कर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने की और ललन के जदयू के शीर्ष पद को छोड़ने की बात कही जा रही है। यह अफवाहें उस दिन उड़ीं जब ललन दिल्ली होने के कारण प्रतिक्रिया के लिए यहां उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसके लिए मीडिया के एक वर्ग और सहयोगी से विरोधी बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया। जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने इस्तीफे की अफवाहों के जवाब में खुद खंडन जारी किया है। अब इस बारे में बात नहीं की जानी चाहिए।’’

प्रसाद ने कहा, ‘‘नीतीश जी और ललन जी के बीच सब कुछ ठीक है, लेकिन फिर भी हम इसके बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि भाजपा ऐसी अफवाहें फैलाती है और हमें इन्हें खारिज करने में अपना समय बर्बाद करना पडता है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी दिल्ली में अपने दो दिवसीय सम्मेलन के लिए तैयारी कर रही है, जिसकी शुरुआत 28 दिसंबर को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक और एक दिन बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठकों से होगी। पिछले साल भाजपा से नाता तोड़कर ‘‘महागठबंधन’’ में शामिल होने वाले जदयू के आलोचक भी पार्टी के विनाश की भविष्यवाणी कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह ने ललन पर नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद दोनों को धोखे में रखकर समझौता करने का आरोप लगाया।

कुशवाह ने एक साल पहले जदयू छोड़कर नई पार्टी बना ली थी और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतात्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ललन ने नीतीश कुमार से वादा किया था कि लालू उन्हें भाजपा विरोधी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में समर्थन देंगे। दूसरी ओर उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख को आश्वासन दिया था कि जदयू का उनकी पार्टी में विलय हो जाएगा और उनके पुत्र (तेजस्वी यादव) मुख्यमंत्री बनेंगे। दोनों वादों को पूरा करने में वे असफल रहे।’’ संयोगवश जदयू ने जब भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ा था और राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित ‘महागठबंधन’ में शामिल हो गई थी तब कुशवाहा पार्टी के संसदीय बोर्ड के प्रमुख थे। कुछ इसी तरह के विचार भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी व्यक्त किए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार लालू प्रसाद के साथ ललन की ‘‘नजदीकियों’’ से सावधान हो गए थे।

जदयू के नेता नीतीश कुमार के विश्वासपत्र माने जाने वाले और राज्य सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी से संवाददातओं ने जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘आप जदयू में दरार की बात करते हैं। मैं कहता हूं कि एक खरोंच तक नहीं है।’’ चौधरी ने ललन से जुड़ी अफवाहों के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘हमने ऐसी कोई बात नहीं सुनी है लेकिन आप लोग जो चाहते हैं दिखलाते हैं फिर हटा देते हैं।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या ललन इस सप्ताह के अंत में दिल्ली में होने वाली जदयू की बैठक में अपने इस्तीफे की औपचारिक पेशकश कर सकते हैं, तो उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब दिए बिना कहा कि 29 दिसंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक होने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह काफी समय से लंबित थी। इसके अलावा देशभर के जदयू नेता एक साथ बैठेंगे और लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे।

चौधरी से जब सुशील कुमार मोदी के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘सुशील कुमार मोदी को अब भाजापा में कोई पूछ नहीं रहा है इसलिए वह सुर्खियों में बने रहने के लिए जदयू के विषय में बयानबाजी करते रहते हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने दावा किया था कि जदयू के शीर्ष नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की अपने सहयोगी राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ बढ़ती निकटता के कारण पार्टी के भीतर फूट की आशंका लेकर असहज महसूस कर रहे हैं।

हालांकि, जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा पिछले कुछ साल से जदयू के अध्यक्ष पद पर आसीन ललन ने वास्तव में पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की है। समझा जाता है कि जब नीतीश पिछले सप्ताह ललन के घर गए थे तो यह मुद्दा चर्चा में आया था। ऐसी चर्चा है कि ललन कुछ महीनों में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर अपने लोकसभा क्षेत्र मुंगेर में अधिक समय देना चाहते हैं। माना जा रहा है कि नीतीश ने ललन को तब तक पद पर बने रहने के लिए कहा है जब तक कि यह फैसला नहीं हो जाता कि अगला पार्टी प्रमुख कौन हो सकता है।

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