उतर प्रदेश में नयी सरकार के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर पहल की वह अपने आप में बेमिसाल है। अभी सरकार बन ही रही थी, उसी समय प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक अलग प्रकार की सक्रियता दिखने लगी थी। खास तौर पर पुलिस तभी बहुत सक्रिय हो चुकी थी और पूरे प्रदेश में लड़कियों से छेड़खानी की घटनाओं पर अचानक अंकुश लग गया था। इसके बाद जब सरकार अस्तित्व में आ गयी और शपथ ग्रहण के बाद मंत्रिमंडल गठित हो गया तब सभी की नज़र इस खास एजेंडे की तरफ ही लगी हुई थी। इसका कारण यह था कि भाजपा ने अपने चुनाव अभियान में महिलाओं की सुरक्षा को बहुत बड़े मुद्दे के रूप में उठाया था। सरकार बनाने के बाद भाजपा के लिए इस मुद्दे को गंभीरता से लेना ही था और योगी जी ने लिया भी। बेटियों को लेकर योगी आदित्यनाथ की पहल ने निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश की स्त्रियों की सुरक्षा और उनकी प्रगति के लिए बहुत बड़ी उम्मीद जगा दी।
हालांकि प्रदेश में कई ऐसे मामले हैं जिनमें महिलाओं की सुरक्षा पर अक्सर सवाल खड़ा होता है। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में बलात्कार, छेड़खानी घरेलू हिंसा के मामले तेजी से बढ़े हैं। भाजपा सरकार से महिलाओं को इसी बात की उम्मीद है कि ऐसी घटनाओं पर यह नई सरकार अंकुश लगा सकेगी। घरेलू हिंसा, एसिड अटैक, छेड़खानी और बलात्कार से पीड़ित महिलाओं और किशोरियों को अपनी सुरक्षा की उम्मीद है। देश में महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम रही संस्था नेशनल कमीशन फॉर वीमेन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में घरेलू हिंसा के मामले सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हैं। वर्ष 2015-16 में अकेले उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या 6,110 थी, जबकि दिल्ली में 1,179, हरियाणा में 504, राजस्थान में 447 और बिहार में 256 मामले दर्ज हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों से 2015 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है जिसमें पीड़ित महिलाओं द्वारा पति और रिश्तेदारों के खिलाफ सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े क्या उतर प्रदेश की नयी सरकार कम कर पाएगी? क्या प्रदेश की हर महिला अपने आप को महफूज़ समझ पाएगी? कुछ ऐसे ही सवाल हैं ग्रामीण महिलाओं के। उत्तर प्रदेश में घरेलू हिंसा पर काम कर रही ब्रेकथ्रू संस्था की स्टेट समन्वयक कृति प्रकाश बताती हैं, “हर महिला और लड़की आज के समय में अपने आप को सुरक्षित नहीं महसूस करती है, महिलाओं की सुरक्षा की बात चाहे घर के अन्दर हो या बाहर, जिसे जब मौका मिलता है उसका शोषण करने लगता है। अगर ये सरकार सख्ती से अपराध करने वालों को सजा दिलाने मे सफल रही तो ये मामले कम हो सकते हैं, इस सरकार से सभी को बहुत उम्मीदें हैं।
एंटी रोमियो अभियान
यूपी में योगी सरकार बनते ही एंटी रोमियो स्क्वॉड एक्शन में आ गया है और मुख्यमंत्री ने अपने चुनावी वायदे को पूरा किया। अपने चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने कहा था कि वह सरकार में आने के बाद एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन करेगी, जोकि लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़, उनका शोषण करने वाले शोहदों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
महिलाओं की सुरक्षा अहम उद्देश्य
जिस तरह से एंटी रोमियो दल ने काम करना शुरू किया है उसे देखकर लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन यहां यह गौर करने वाली बात यह है कि यह कोई नई शुरुआत नहीं है, अगर पुलिस विभाग के सूत्रों पर भरोसा करें तो यह पुरानी योजना है जिसे नया नाम देकर शुरू किया गया है। प्रदेश के डीजीपी का कहना है कि एंटी रोमियो दल का उद्देश्य महिलाओं को लोगों के बीच सुरक्षित करना है और समाज में उन्हें उनका स्थान दिलाना है, जिसके जरिए लड़कियों के साथ होने वाली छेड़खानी को रोक लगाई जा सके। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि एंटी रोमियो दल से पहले प्रदेश में पुलिस ने अलग ऑपरेशन शुरू किया था जिसके तहत महिलाओं के साथ छेड़खानी और उनका पीछा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को बेहतर करना चाहते हैं और महिलाओं की पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराना चाहते हैं, जिसके तहत प्रदेश के हर जिले के थाने में एंटी रोमियो दल का गठन किया जाएगा। भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वह प्रदेश में एंटी रोमियो दल का गठन करेगी। हालांकि कुछ लोग रोमियो शब्द से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि रोमियो का मतलब यह है कि जो लोग लड़कियों के साथ छेड़खानी करते हैं।
मायावती के शासनकाल में भी शुरू हुआ था अभियान
राज्य की पुलिस के अनुसार इस तरह का अभियान पहले भी चलाया जा चुका है लेकिन यह इतने बड़े स्तर पर नहीं किया गया था, जिसका लंबे समय तक कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था, यह अभियान मायावती की सरकार में भी चलाया गया था, जिसे नोएडा में 2011 में शुरू किया गया। इस अभियान के तहत पुलिस उन जगहों पर जाती थी जहां महिलाओं के साथ छेड़खानी की जाती थी, इस दल का नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी करती थी। पूर्व में भी इस तरह के कदम उठाए गए थे, 1986-87 में पुलिस ने इस तरह का अभियान शुरू किया था, जिसमें लड़कियों के साथ छेड़खानी करने वालों को मजनू पिंजड़े में रखा जाता था और उन्हें पूरे शहर में घुमाया जाता था, इस मुहिम का मकसद लड़िकयों के साथ छेड़खानी करने वालों शर्मिंदा करना था। हालांकि डीजीपी का कहना है कि अगर इस तरह का अभियान कभी भी गंभीरता से चलाया गया होता तो महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुत कम हो गए होते।
क्या है एंटी रोमियो दल का काम
पहली बार महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए ऊपर से नीचे तक के पुलिस अधिकारियों को इस काम में लगाया गया है। हर पुलिस स्टेशन में एक एंटी रोमियो दल होगा जिसमें महिला और पुरुष दोनों पुलिसकर्मी शामिल होंगे। इस दल के पुलिस अधिकारी साधारण कपड़ों में होंगे, वह पुलिस की वर्दी में नहीं होंगे। इस दल के लोग उन जगहों पर नजर रखेंगे जहां लड़कियां पढ़ने जाती हैं, इसके साथ बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल आदि जगहें भी शामिल होंगी। दल के सदस्य पुरुषों की गतिविधि पर नजर रखेंगे जो लड़कियों का पीछा करते हैं या उनके साथ छेड़खानी करते हैं। अगर कोई भी लड़कियों पर फब्तियां कसते पाया गया तो पुलिस उनके माता-पिता को बुलाएगी और उन्हें इसकी चेतावनी देगी। लेकिन अगर अपराध जघन्य होगा तो आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बेटी के जन्म पर 50,000 रुपये का विकास बॉन्ड
महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान सीएम योगी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। बीजेपी के लोक कल्याण पत्र-2017 के अन्तर्गत भाग्य लक्ष्मी योजना को लागू करने के लिए उन्होंने वृहत प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस योजना के तहत प्रदेश के हर गरीब परिवार में बेटी के जन्म पर 50,000 रुपये का विकास बॉन्ड दिया जाना है। बेटी के कक्षा 6 में पहुंचने पर 3,000 रुपये, कक्षा 8 में पहुंचने पर 5,000 रुपये, कक्षा 10 में पहुंचने पर 7,000 रुपये, कक्षा 12 में पहुंचने पर 8,000 रुपये दिये जाएंगे। बेटी के 21 वर्ष की होने पर 2 लाख रुपये दिये जाएंगे। रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष के तहत विधवा और ऐसी महिलाओं जिनके पति शराबी हैं और उनका कोई अन्य आय का स्रोत भी नहीं है, की सहायता के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं।
सरकार का संकल्प
उतर प्रदेश सरकार के संकल्प में महिलाओं और बालकों के विकास का महत्व सर्वोपरि है क्योंकि इसी से समग्र विकास की धारा बहती है। महिलाओं के अधिकारों और चिंताओं पर काम करना और उनकी उत्तरजीविता, सुरक्षा, विकास और भागीदारी सुनिश्चित करना प्राथमिक कर्तव्य है। सरकार इस प्रयास में है कि सशक्त महिलाएं सम्मान सहित जिएं और हिंसा व भेदभाव से मुक्त वातावरण में प्रगति में बराबर योगदान दें। साथ ही, सुपोषित बालकों को सुरक्षित और देखभाल भरे माहौल में पनपने और विकसित होने के पूरे अवसर उपलब्ध हों। सुस्पष्ट नीतियों और कार्यक्रम, मुख्यधारा लैगिंक धारणाओं और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के जरिए महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, उनमें अपने मानवाधिकारों की प्राप्ति और अपनी पूरी क्षमता तक विकसित होने की सक्षमता पैदा करने हेतु संस्थानिक और विधायी सहयोग उपलब्ध कराना, विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित नीतियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से बालकों के विकास, देख-रेख और सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, शिक्षा, पोषण, संस्थानिक एवं विधायी सहायता तक पहुंच बनवाना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता तक विकसित हो सकें।
महिलाओं के लिए जागृति ऐप
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण और उन्हें जागरूक करने के लिए जागृति ऐप लॉन्च किया गया है। ऐप लॉन्च करते हुए महिला कल्याण विभाग की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि महिलाओं को सम्मान और उनके विकास के अवसर प्रदान करना यूपी सरकार का संकल्प है। इस दौरान महिला सशक्तिकरण पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया, जिसमें सरकार और विभाग के साथ ही कई गणमान्य लोगों ने अपने सुझाव दिए। लखनऊ में महिला कल्याण विभाग की तरफ से महिला सशक्तिकरण पर संवाद का आयोजन किया गया। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल कल्याण विभाग रेणुका कुमार ने कहा कि इस आयोजन का मकसद प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। सेमिनार में आए लोगों को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण मिशन को सफल बनाना हमारे विभाग का उद्देश्य है। रीता बहुगुणा ने कहा कि यूपी के सभी लोगों के सुझावों और सहयोग से महिला सशक्तीकरण को बल मिलेगा।
राज्यपाल ने भी की सराहना
प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राज्य को देश के अग्रणी राज्यों में शुमार करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के संकल्प की सराहना करते हुए सूबे के विकास की दौड़ में पिछडऩे के लिये प्रदेश की पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। प्रदेश की 17वीं विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन विधानमण्डल के संयुक्त अधिवेशन में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच करीब 35 मिनट तक पढ़े गये अपने अभिभाषण में कहा कि एक समय था जब उत्तर प्रदेश विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था, लेकिन बाद के कई वर्षों में यह अन्य सूबों से पिछड़ गया।
राज्यपाल ने कहा कि अब राज्य की नयी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लक्ष्य के साथ इसे फिर से अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प लिया है। राज्य सरकार के करीब दो महीने के अब तक के कार्यकाल में उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए नाईक ने कहा, ‘‘राज्य सरकार तुष्टीकरण की नीति नहीं अपनाएगी और समाज के हर वर्ग के हितों की रक्षा करेगी। सरकार पूरी तरह कानून का राज स्थापित करने और भयमुक्त तथा शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने के लिये कटिबद्ध है। सुरक्षित समाज बनाने के लिये एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स तथा एंटी-रोमियो दल इत्यादि का गठन किया गया है। अपराध पर प्रभावी नियंत्रण तथा अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिये उप महानिरीक्षक स्तर से लेकर पुलिस महानिदेशक स्तर तक नियमित निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही शत-प्रतिशत मुकदमे दर्ज कर उन पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।
सरकार की नीयत पर भरोसा
इन सभी प्रयासों के अलावा भी कई योजनाओं को लेकर योगी सरकार काम कर रही है। खासकर स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए तो सरकार प्रयास कर ही रही है, खेतों में काम करने वाली तथा दैनिक मज़दूरी करने वाली महिलाओं के लिए भी यह सरकार बहुत संवेदनशील दिख रही है। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा का कार्य बहुत ही जटिल है। यह व्यवस्था काफी समय से खराब है जिसको पटरी पर लाने में वक्त लग सकता है लेकिन सरकार की नीयत पर सभी को भरोसा है और इसमें दिन प्रतिदिन सुधार भी हो रहा है। अभी तो इस सरकार के बने हुए ही दो महीने हुए हैं। इतने कम समय में किसी सरकार का कोई मूल्यांकन संभव नहीं है। लेकिन यह जरूर सच है कि सरकार की नीयत साफ़ है और स्वयं मुख्यमंत्री की संकल्प शक्ति प्रामाणिक है। ऐसे में भरोसा तो बढ़ा ही है।
डॉ. अर्चना तिवारी
(लेखिका शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं)