बाइडेन का फुटबॉल और पुतिन का चेगेट, जिससे पलक झपकते ही तबाह हो सकती है दुनिया, भारत में भी PM के पास होता है न्यूक्लियर ब्रीफकेस?

By अभिनय आकाश | May 09, 2022

रूस के 77वें विक्ट्री डे परेड में एक से बढ़कर एक घातक तोप, टैंक, मिसाइलें और फाइटर जेट नजर आए। विक्ट्री डे मनाते हुए रूस ने ये मैसेज देने की कोशिश की है कि ये युद्ध अपने क्षेत्र को बचाने के लिए लड़ा गया, किसी और को हराने के लिए नहीं। विक्ट्री डे पर 11 हजार सैनिकों के साथ पुतिन ने रूस की ताकत का प्रदर्शन किया। सुखोई एयरक्राफ्ट जैसे घातक विमानों की झलक पेश करना पश्चिमी देशों को एक चेतावनी थी। पुतिन ने ये भी साफ कर दिया की रूस के पास गोले, बारूद, हथियार, टैंक, एयरक्राफ्ट की कोई कमी नहीं। इसके साथ ही पुतिन ने फिर कमस खाई की यूक्रेन में नाजीवाद के खात्मे तक जंग जारी रहेगी।  एक तरफ मॉस्को अपने जीत का 77वां जश्न मना रहा था तो दूसरे तरफ पश्चिमी देशों की तरफ से पुतिन को हिटलर बताया जा रहा था। यूक्रेन को लेकर यूरोपीय देश और रूस के बीच स्थितियां लगातार तल्ख होती जा रही हैं। यूक्रेन का मसला यूरोप को तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जाता दिख रहा है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है। पुतिन का वो न्यूक्लियर ब्रीफकेस फिर से एक बार चर्चा में आ गया है। पुतिन के इस ब्रीफकेस को बेहद ही खतरनाक माना जाता है। जिसमें दुनिया को तबाह करने की क्षमता है। कई डिफेंस एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि ये ब्रीफकेस इतना ताकतवर है कि पूरी दुनिया को तबाह कर सकता है। ये ब्रीफकेस एक तरह से एक कमांड डिवाइस है। जिसके एक हल्के से इशारे से पुतिन परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं। ये ब्रीफकेस दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध कराने की ताकत रखता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्या है पुतिन का न्यूक्लियर ब्रीफकेस? इससे कैसे दिया जाता है न्यूक्लियर हमले का आदेश? क्यों इससे यूक्रेन और दुनिया को खतरा है? इसके साथ ही क्या भारत के प्रधानमंत्री यानी मोदी जी के पास भी ऐसा कोई न्यूक्लियर वाला ब्रीफकेस है? 

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अमेरिका का न्यूक्लियर फुटबॉल 

फरवरी 2020 की बात है अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेनालिया ट्रंप के साथ भारत दौरे पर आए। तब वो अपने साथ खास एक न्यूक्लियर ब्रीफकेस लेकर आए थे। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति के न्यूक्लियर ब्रीफकेस को न्यूक्लियर फुटबॉल कहा जाता है। चमड़े से बना काले रंग का यह टॉप सीक्रेट ब्रीफकेस दुनिया का सबसे शक्तिशाली ब्रीफकेस माना जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ब्रीफकेस में अमेरिका के परमाणु हमले की पूरी योजना और टारगेट की पूरी जानकारी होती है। बताया जाता है कि ये जानकारी 75 पन्नों की एक काली किताब में लिखी होती है। इसी ब्रीफकेस में एक कार्ड होता है जिसमें परमाणु बम हमले की पुष्टि करने वाले कोड लिखे होते हैं, इस कार्ड को 'न्यूक्लियर बिस्किट' कहा जाता है। इस कार्ड में अलार्म लगे होते हैं। ब्रीफकेस के अंदर एक एंटीना होता है जिसके माध्यम से अमेरिकी राष्‍ट्रपति दुनिया के किसी कोने से तत्‍काल कहीं भी बात कर सकता है। 

खास बिस्किट के बिना नहीं दिया जा सकता परमाणु हमले का आदेश

अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ इसी तरह का सूटकेस हमेशा साथ होता है। इसमें एक खास बिस्किट होता है जिसके बगैर अमेरिकी राष्ट्रपति परमाणु हमले का आदेश दे ही नहीं सकते। न्‍यूक्लियर फुटबॉल के अंदर 3 से 5 इंच लंबा एक कार्ड होता है जिसमें परमाणु बम हमले की पुष्टि करने वाले कोड लिखे होते हैं। देखने में क्रेडिट कार्ड लगने वाले इसी कार्ड को 'बिस्किट' कहा जाता है। इस बिस्किट में 5 अलार्म लगे होते हैं और अगर यह खो जाता है तो उसे बजाया जाता है। 

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पुतिन का ब्लैक ब्रीफकेस

रूस के पास दुनिया की सबसे मजबूत न्यूक्लियर फोर्स है। जिससे धरती को पलभर में तबाह किया जा सकता है। रूस के पास 6 हजार 257 के करीब परमाणु बम हैं। जिनकों इस्तेमाल करने का आदेश केवल पुतिन के पास है। इस ब्रीफकेस में कुछ बटन हैं जिनको दबाकर पुतिन न्यूक्लियर वॉर शुरू कर सकते हैं। जिसका अंजाम दुनिया की तबाही के अलावा और कुछ नहीं होगा। ये ब्रीफकेस हमेशा साये की तरह पुतिन के साथ रहता है। पुतिन जहां भी जाते हैं इस ब्रीफकेस को हमेशा अपने साथ रखते हैं। 2021 में रूस सरकार के प्रवक्ता डिमेट्री पोरकोव ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि पुतिन छुट्टियां बिताते वक्त भी इस ब्रीफकेस को अपने साथ ही रखते हैं। रूसी भाषा में इस ब्रीफकेस को चेगेट कहते हैं, जो पहाड़ी के नाम पर रखा गया है। 1980 के दशक में जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कोल्ड वॉर चरम पर पहुंच गई थी तब ये ब्रीफकेस तैयार किया गया था। साल 1985 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के शासन में ये एक्टिव सर्विस में आया। सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस के राष्ट्रपति के तौर पर ये ब्रीफकेस अब पुतिन के साथ रहता है। यही ब्रीफकेस अब दुनिया के लिए खौफ का दूसरा नाम बन गया है। 

 सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार वाले देश

 रूस 6257
 अमेरिका 5600
 चीन 350
 फ्रांस 290
 ब्रिटेन 225
 पाकिस्तान 165
 भारत 160
 इजरायल 90
 नॉर्थ कोरिया 45

साल 2019 में दुनिया ने देखी ब्रीफकेस के अंदर की झलक 

साल 2019 में पहली बार पुतिन के इस ब्रीफकेस के अंदर की झलक दुनिया ने देखी थी। 2019 में रूस के रक्षा मंत्रालय के ज़्वेज़्दा नामक चैनल ने इस ब्रीफकेस को टीवी पर दिखाया था। इस ब्रीफकेस में लाल और सफेद बटन लगे हुए हैं। इस ब्रीफकेस को एक कोड के जरिये ही खोला जा सकता है। ये ब्रीफकेस 24 घंटे बेहद ही सख्त सुरक्षा घेरे में रहता है। इसके जरिये रूस के 6 हजार से भी ज्यादा परमाणु बमों को कंट्रोल किया जाता है। वैसे रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक ही ब्रीफकेस दिखता है। लेकिन इनकी कुल संख्या तीन है। इन तीनों ब्रीफकेस को केवल रूस के शीर्ष अधिकारी ही खोल सकते हैं।  

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कैसे काम करता है पुतिन का ब्लैक ब्रीफकेस

ब्रीफकेस के अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम होता है। इसके अंदर पीछे की तरफ एक छोटी सी काले रंग की स्क्रीन है और आगे कई सारे बटन लगे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर बटन सफेद रंग के हैं। बस बीच में एक लाल रंग का बटन होता है। माना जाता है कि सफेद रंग का बटन दबाने से न्यूक्लियर अटैक का कमांड सिस्टम एक्टिवेट होता है। ये ब्रीफकेस एक सीक्रेट कोड से खुलता है जो कि केवल पुतिन को पता है। ब्रीफकेस के जरिए न्यूक्लियर अटैक का आदेश केवल रूसी राष्ट्रपति ही दे सकते हैं।  

भारत के प्रधानमंत्री के पास भी है बाइडेन-पुतिन जैसा ब्रीफकेस?

26 जनवरी का गणतंत्र दिवस समारोह हो या कोई सार्वजनिक कार्यक्रम आप देखेंगे प्रधानमंत्री की हर तस्वीर में किसी न किसी सिक्योरिटी अफसर के हाथ में ये ब्रीफकेस होता है। जिसको लेकर अक्सर ये अफवाहें उड़ती रहती हैं कि वो न्यूक्लियर ब्रीफकेस है। जिसमें न्यूक्लियर बम का ट्रिगर है। मोदी कहीं से भी न्यूक्लियर बम चला सकते हैं। इस ब्रीफकेस का पासवर्ड सिर्फ उन्हीं के पास है। लेकिन ये पूरी तरह से गलत है।  ये न्यूक्लियर ब्रीफकेस नहीं, बल्कि पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड होता है जिसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी अपने हाथों थामे चलता है। रूस और अमेरिका की तरह भारत में न्यूक्लियर अटैक का आदेश देने के लिए किसी भी किस्म का ब्लैक ब्रीफकेस नहीं होता है। भारत में न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम को नियंत्रित करने और आदेश देने के लिए न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी यानी एनसीए होती है। एनसीए दो काउंसिल पॉलिटिकल और एग्जीक्यूटिव को मिलकर बनी है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनसीए पॉलिटिकल काउंसिल के मुखिया हैं। जबकि एग्जीक्यूटिव काउंसिल का जिम्मा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पास है। पॉलिटिकल काउंसिल में पीएम के अलावा गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री शामिल होते हैं। वहीं एग्जीक्यूटिव काउंसिल में एनएसए के साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख भी होते हैं। एग्जीक्यूटिव काउंसिल की सलाह पर ही न्यूक्लियर अटैक पर अंतिम फैसला पॉलिटिकल काउंसिल लेती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत में न्यूक्लियर अटैक पर आखिरी फैसला प्रधानमंत्री के हाथों में होता है।   

- अभिनय आकाश

 

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