राम पथ पर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार, जोड़ा गया नया रिश्ता

By अंकित सिंह | Dec 14, 2020

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 17 दिसंबर को 2 वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है। इस अवसर पर राज्य सरकार ने कई तरह के भव्य आयोजनों की तैयारी की है। यह आयोजन एक तरफ जहां भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार के सफलतम 2 साल के पूर्ण होने की गाथा को बयां करेगा तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के दांव-पेंच पर भी नकेल कसेगा। हालांकि आप यह सोच रहे होंगे कि अपने वर्षगांठ पूरे होने पर हर सरकार कई तरह के आयोजन करते हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार इस बार क्या अलग करने जा रही है? आज हम इसी के बारे में आपको बताएंगे।

 

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दरअसल, भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस पूरे आयोजन का थीम भगवान राम पर रखा है। ऐसे में आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है या फिर भाजपा की? ऐसे में आपको एक बार फिर बता दे कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार है। आप किसी भ्रम में ना रहे। दरअसल, इस बार छत्तीसगढ़ कांग्रेस भाजपा के सबसे मजबूत एजेंडे में सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है। जाहिर सी बात है कि ऐसे में भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है। मामला यहीं तक सीमित नहीं है। दरअसल, अब प्रभु राम से छत्तीसगढ़ का रिश्ता भी जोड़ा जा रहा है और यह रिश्ता है भांजे का। 

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दरअसल मान्यता यह है कि भगवान श्री राम की मां कौशल्या का मायका छत्तीसगढ़ में ही था। हालांकि कांग्रेस का यह आयोजन भाजपा को रास नहीं आ रहा है। भाजपा लगातार यह दावा कर रही है कि वह कांग्रेस ही हैं जो राम मंदिर के निर्माण में सबसे ज्यादा रोड़े अटकाने का काम किया है। हालांकि, भूपेश बघेल सरकार द्वारा इस आयोजन का राजनीतिक उद्देश्य भी काफी बड़ा माना जा रहा है। सरकार के 2 साल पूरे होने के जो कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है उसकी शुरुआत 14 दिसंबर से होगी। यह आयोजन 17 दिसंबर तक लगातार जारी रहेगा। 14 दिसंबर को राज्य के दोनों छोड़ो से एक बाइक रैली की शुरुआत होगी जो भगवान राम के वन गमन वाले रास्ते से होकर चलेंगी। जगह-जगह पुष्प वर्षा होंगी और इनका स्वागत किया जाएगा। यह दोनों रैली 17 दिसंबर को चंदखुरी में मिलेगी जहां सरकार के लोग मौजूद होंगे और यही मुख्य कार्यक्रम भी होगा। आपको बता दें कि चंदखुरी ही माता कौशल्या का जन्म स्थल है। इसके अलावा माना जाता है कि 14 साल के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम ने अपना बड़ा वक्त गुजारा था। बघेल सरकार ने इन स्थानों को चिन्हित कर लिया है और विकसित करने का कार्य लगातार किया जा रहा है। 

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भाजपा के तंज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लगातार जवाब दे रहे हैं। भूपेश बघेल ने साफ तौर पर कहा है कि भगवान श्री राम भाजपा की बपौती नहीं है। राम हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। राम छत्तीसगढ़िया संस्कृति में हैं। राम जन-जन में हैं। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ भी कांग्रेस के इस बदले मिजाज का अपनी-अपनी तरह से आकलन कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि कांग्रेस अब खुद को बहुसंख्यक समाज की भावनाओं से अलग नहीं दिखाना चाहती। उसे यह लगता है कि अब खुद को तटस्थ दिखाए जाने का वक्त नहीं रहा। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि खुद को तटस्थ रखने का खामियाजा कांग्रेस को 2014 और 2019 में उठाना पड़ा। तभी तो जब 5 अगस्त के दिन अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रख रहे थे तब कांग्रेस नेताओं की तरफ से यह साबित किया जा रहा था कि पार्टी कभी भी राम मंदिर के विरोध में नहीं रही है। उसने हमेशा श्रीराम को चाहा है। कमल नाथ ने तो इस अवसर पर 11 चांदी की इंटें भी भेंट किए। इसके अलावा हनुमान चालीसा का भी बड़े धूमधाम से आयोजन करवाया। इतना ही नहीं पिछले चुनाव में ही देखे तो कांग्रेस के बड़े नेता मंदिर और जनेऊ धारी बन रहे थे। अब देश की राजनीति में कांग्रेस को टिकने के लिए बहुसंख्यक समाज की भावनाओं के साथ चलना होगा। 

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