By निधि अविनाश | Sep 08, 2022
‘दिल हूम हूम करे’ जैसे संगीत को अपनी आवाज देने वाले दिग्गज संगीतकार और गीतकार भूपेन हजारिका का आज जन्मदिन है। भारत रत्न से सम्मानित भूपेन ने अपनी आवाज से करोड़ों लोगों का दिल जीता है। भूपेन खुद ही संगीत लिखते थे और उन्हें अपनी मधुर आवाज देते थे। एक संगीतकार होने के साथ-साथ वह गीत-कविता लेखन, गायन, फिल्म निर्माण और पत्रकार भी रहे। भूपेन को असम रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। भूपेन का जन्म 8 सितंबर, 1926 को असम के सदिया में हुआ था। सात भाई और तीन बहनों में भूपेन सबसे बड़े थे।
कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था संगीत
भूपेन हजारिका ने बहुत ही कम उम्र में संगीत लिखना और गाना शुरू कर दिया था। महज 10 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गीत भी लिख दिया था। महज 12 साल की उम्र में ही भूपेन हजारिका ने असम की फिल्म इन्द्रामालोटि (इंद्रमालती) के लिए 2 गाने गाए थे।
जब सात दिनों के लिए रहे थे जेल में
अपने पीएचडी की पढ़ाई के दौरान भूपेन की मुलाकात मशहूर अमेरिकी अश्वेत सिंगर रॉल राब्सन से हुई और भूपने उनसे गाना सीखने लगे थे। इसके लिए भूपेन को 7 दिनों की जेल हो गई थी क्योंकि पॉल रॉबसन अश्वेतों के अधिकारों पर लड़ने वाले एक्टिविस्ट थे।
भूपेन का एक गाना जो आज भी शायद युवाओं के दिल को छू लेता होगा वो है फिल्म ‘रूदाली’ फिल्म का गीत ‘दिल हूम हूम’ करे। ये गाना सीधा दिल को छू देता है। उनकी आवाज में एक अलग ही किस्म का जादू था जो मन को काफी शांत कर देता था। उन्होंने न केवल हिंदी बल्कि हिंदी, बंगाला समेत कई भाषाओं में गीत गाए। वह इतने टैलेंटेड थे कि उन्होंने 1 हजार से अधिक गानों के साथ-साथ 15 किताबें तक लिख दी थी।
17 साल की लड़की को दे बैठे थे दिल
भूपेन हजारिका और कल्पना लाजमी के लव स्टोरी काफी चर्चे में रही है। फिल्म आरोप के सेट पर एक मुलाकात में ही भूपेन को कल्पना काफी पसंद आ गई थी। उस दौरान जहां भूपेन की उम्र 40 साल थी तो वहीं कल्पना केवल 17 साल के आसपास की थी। भूपेन की सबसे ज्यादा चर्चित फिल्म कल्पना लाजमी की फिल्म रुदाली थी। इस फिल्म का संगीत दिल दिल हुम हुम करे बहुत ज्यादा मशहूर हुआ था। ये गाना भूपेन के असमिया गीत बुकु हुम हुम करे का हिंदी अनुवाद था।
सम्मान
फिल्मों मं सर्वक्षेष्ठ योगदान देने के लिए भूपेन हजारिका को साल 1975 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 1992 में फिल्मी दुनिया का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2009 में ‘असम रत्न’ और 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। साल 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
- निधि अविनाश