By अनन्या मिश्रा | May 15, 2023
राजस्थान के पूर्व सीएम भैरोसिंह शेखावत भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे। राजनीति में उनके कई विरोधी थे, लेकिन कोई भी उनका शत्रु नहीं था। शेखावत खुद कहते थे कि वह दोस्त बनाने में विश्वास रखते हैं ना कि दुश्मन बनाने में। आज ही के दिन यानी की 15 मई को भैरोसिंह शेखावत का निधन हो गया था। भैरोसिंह भारतीय राजनीति में दक्ष होने के साथ ही पारंपरिक नेता थे। बता दें कि विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने शेखावत को 'भारत का रॉकफेलर' कहा था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सिरी के मौके पर उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
राजस्थान के सीकर जिले के खचारीवास गांव में 23 अक्टूबर 1923 को भैरोंसिंह शेखावत का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम देवी सिंह शेखावत और माता का नाम बन्ने कंवर था। वह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी ही कर पाए थे कि उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद परिवार की शेखावत के कंधों पर आ गई और इसी कारण वह आगे अपनी पढ़ाई नहीं कर सके। शुरूआत में भैरोसिंह ने खेती की। बाद में वह सब-इंस्पेक्टर बन गए।
राजनीतिक करियर
साल 1952 में शेखावत ने राजनीति में प्रवेश लिया। इस दौरान वह साल 1952-72 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वहीं 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ और सहयोगी स्वतंत्र पार्टी बहुमत के काफी करीब आ गई थी। लेकिन उनकी सरकार बनते-बनते रह गई। इसके बाद शेखावत ने साल 1974-77 तक राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दी। जिसके बाद साल 1977 से 2002 वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वहीं साल 1977 में उनकी पार्टी ने 200 में से 151 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद भैरोसिंह शेखावत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया।
साल 1980 तक सेवाएं देने के बाद भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी का विघटन हो गया। इसके बाद शेखावत भाजपा में शामिल हो गए। इसके साथ ही उन्होंने साल 1990 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे। साल 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के शासनकाल में भाजपा की हार हो गई। फिर साल 1989 के चुनावों में बीजेपी और जनता दल के गठबंधन ने लोकसभा में 25 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं राजस्थान के विधानसभा चुनाव में 140 सीटे हासिल कीं। इस दौरान एक बार फिर साल 1990 में भैरोसिंह शेखावत राजस्थान के सीएम बने। वह साल 1992 तक सीएम पद पर रहे।
अगले चुनाव में एक बार फिर भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में बीजेपी ने 99 सीटें जीतीं। इस तरह स्वतंत्र समर्थकों के सहयोग से भैरोसिंह एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब हो गए। इस तरह साल 1993 में वह तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। लेकिन साल 1998 में महंगाई के मुद्दों के कारण भैरोसिंह को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन साल 1999 में लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की।
भैरोसिंह शेखावत को पुलिस और अफसरशाही व्यवस्था पर कुशल प्रशासन के लिए जाना जाता है। राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास के पिता के तौर पर भी भैरोंसिंह शेखावत का नाम लिया जाता है। बता दें कि भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भैरोसिंह को भारत के सबसे ऊंचे नेता के तौर पर संबोधित किया था। साल 2002 में सुशील कुमार शिंदे को हराकर भैरोंसिंह शेखावत देश के उपराष्ट्रपति चुने गए। वहीं नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस के समर्थन से साल 2007 में भैरोसिंह ने निर्दलीय राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा। लेकिन इस दौरान उनको प्रतिभा पाटिल से हार का सामना करना पड़ा।
पुरस्कार और सम्मान
भैरोसिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की। उनके विलक्षण गुणों को देखते हुए भैरोसिंह शेखावत को महात्मागांधी काशी विद्यापीठ, आंध्रा विश्वविद्यालय, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय ने डीलिट की उपाधि से सम्मानित किया था। इसके अलावा उनको एशियाटिक सोसायटी ऑफ मुंबई द्वारा फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। वहीं येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिया से उनको गोल्ड मेडल और मेडिसिन डिग्री की डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
अपने अंतिम दिनों में भैरोसिंह शेखावत कैंसर से पीड़ित हो गए थे। जिसके बाद जयपुर के सवाई अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था। 15 मई 2010 को इलाज के दौरान भैरोसिंह शेखावत का निधन हो गया था।