सर्वार्थ सिद्धि, आयुष्मान और सौभाग्य योग में मनाई जायेगी भाई दूज

By डा. अनीष व्यास | Oct 26, 2022

दिवाली पर्व के बाद भाई दूज पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। दिवाली के ठीक अगले दिन सूर्य ग्रहण के कारण इस पर्व को 27 अक्टूबर के दिन मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाई दूज पर्व को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे इसकी कामना करती हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार गुरुवार 27 अक्टूबर को भाई दूज पर्व मनाया जाएगा। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और उनका तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उसके सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। भाई दूज का त्योहार भाई दूज, भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है। इसे यम द्वितीया, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है। इस साल भाई दूज का त्योहार 27 अक्टूबर को है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित करती हैं, उनका तिलक करती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार देते हैं।  इस साल भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि समेत तीन शुभ योग बने हुए हैं।


तीन शुभ योग

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है, जो दोपहर 12:11 मिनट से अगले दिन 28 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 06:30 मिनट तक है। इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। वहीं, भाई दूज के प्रात:काल से लेकर सुबह 07:27 मिनट तक आयुष्मान योग बना है। उसके बाद से सौभाग्य योग का प्रारंभ हो जाएगा। सौभाग्य योग अगले दिन प्रात: 04:33 मिनट तक रहेगा। ये तीनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फलदायी होते हैं।

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भाई दूज शुभ मुहूर्त 

द्वितीया तिथि आरंभ: 26 अक्टूबर 2022,दोपहर 02: 42 मिनट से 

द्वितीया तिथि समाप्त: 27 अक्टूबर 2022, दोपहर 12: 45 मिनट पर


27 अक्टूबर तिलक शुभ मुहूर्त 

सुबह 11:07 मिनट से लेकर दोपहर 12:45 मिनट तक 

अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 मिनट से लेकर दोपहर 12:27 मिनट तक 


भाई दूज पूजा विधि

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भाई दूज पर शाम को शुभ मुहूर्त में भाई बहन यमराज चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन, भाई की आयु वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें। इसके बाद बहन, भाई को भोजन कराएं और तिलक लगाएं। इसके बाद भाई अपनी बहन को अपनी इच्छा के अनुसार उपहार दें। इस दिन सभी बहनें अपने हाथ से भाई को भोजन कराएं तो उसकी उम्र बढ़ती है। साथ ही उसके जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं।

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यमुना और यमराज की पूजा का महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। भाई को आया देख यमुना ने उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर आदर सत्कार किया। बहन का प्रेम देखकर यमराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस तिथि पर यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा मृत्यु के बाद उसे यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ेगी। तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण में लिखा है कि यमराज को प्रसन्न कर, पूजन करने वाले की हर कामना पूरी होती है।


- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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