By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 15, 2021
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) समिति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए राज्य में स्थिति को ‘‘कानून के शासन की जगह शासक के शासन का प्रदर्शन’’ करार दिया तथा ‘‘हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों’’ की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)से कराए जाने और इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलाए जाने की सिफारिश की है। वहीं, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जवाबी हमला किया और एनएचआरसी पर भाजपा के ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ पर चलने का आरोप लगाया तथा दावा किया कि रिपोर्ट लीक की गई है।
उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर एनएचआरसी अध्यक्ष द्वारा गठित समिति ने यह भी कहा कि इन मामलों में मुकदमे राज्य से बाहर चलने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है। सात सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘पश्चिम बंगाल राज्य में स्थिति ‘कानून के शासन की जगह शासक के शासन का प्रदर्शन’ है।’’ अदालत को 13 जून को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने सिफारिश की है कि हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए और इन मामलों में मुकदमा राज्य से बाहर चलना चाहिए।’’
उच्च न्यायालय में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। एनएचआरसी समिति ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘‘सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई।’’ रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि संलग्नकों के साथ ‘सॉफ्ट’ प्रतियां याचिकाकर्ताओं-याचिकाकर्ताओं के वकील, निर्वाचन आयोग और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को सौंपी जाएं। घटनाक्रम पर बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में दावा किया कि मानवाधिकार आयोग ने मीडिया को रिपोर्ट लीक की है। उन्होंने यह भी कहा कि एनएचआरसी की टीम ने राज्य सरकार से मशविरा नहीं किया और न ही उसके मत को संज्ञान में लिया। बनर्जी ने कहा, ‘‘भाजपा अब राजनीतिक लाभ के लिए और हमारे राज्य की छवि खराब करने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था।’’ उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यदि आप इसे भाजपा का राजनीतिक प्रतिशोध नहीं तो और क्या कहेंगे? अभी वह (विधानसभा चुनाव) हार को नहीं पचा पाई है और इसीलिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है।’’ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘यह हास्यास्पद है कि रवींद्रनाथ टैगोर की धरती पर जहां मन भयहीन और सिर ऊंचा रहता है...वहां इसके हजारों नागरिकों को पिछले कुछ महीनों में हत्या, बलात्कार, विस्थापन आदि का सामना करना पड़ा है।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सत्ता में बैठी पार्टी के उद्देश्यों के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। समिति ने 50 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘यह इस महान राष्ट्र में लोकतंत्र के लिए मृत्यु-नाद हो सकता है...और इस राष्ट्र में लोकतंत्र को जीवंत रखने के लिए स्थिति को बदलने की आवश्यकता है।’’ रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यदि चिंताजनक चीजों को नहीं रोका गया तो ‘‘बीमारी’’ अन्य राज्यों में भी फैल सकती है। इसमें पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विस्थापित हुए अनेक लोग अब तक अपने घरों को नहीं लौट सके हैं और न ही अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर पाए हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘यौन अपराध की अनेक घटनाएं हुई हैं और पीड़ित बोलने से डर रहे हैं। पीड़ितों का राज्य प्रशासन से पूरी तरह विश्वास उठ गया है।’’ सात सदस्यीय समिति के तहत कई टीमों ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले 20 दिन के भीतर राज्य में 311 स्थलों का दौरा किया। समिति को विभिन्न स्रोतों से 15,000 से अधिक पीड़ितों के बारे में 1,979 शिकायतें मिलीं।