Benazir Bhutto Death Anniversary: बेनजीर भुट्टो को विरासत में मिली थी सियासत, ऐसे बनी थीं पाकिस्तान की पहली महिला PM

By अनन्या मिश्रा | Dec 27, 2024

आज ही के दिन यानी की 27 दिसंबर को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं बेनजीर भुट्टो की हत्याकर दी गई थी। हालांकि उनकी मृत्यु को करीब 15 साल से भी अधिक समय बीत गया है। वह पाकिस्तान के एक बड़े सियासी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। बेनजीर भुट्टो की हत्या क्यों की गई थी, इस राज से अभी तक पर्दा नहीं उठ सका है। वह एक आजाद ख्याल वाली महिला थीं, लेकिन जब उन्होंने पाकिस्तान की सियासत में कदम रखा, तो लोगों के साथ सिर ढककर रूबरू हुईं। बताया जाता है कि वह इमरान खान के काफी करीब थीं। लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के घर 21 जून 1953 को बेनजीर भुट्टो का जन्म हुआ था। इसलिए सियासत का गुण उनको विरासत में मिला था। बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली को पाकिस्तान में कायद-ए-आजम जिन्ना की तरह कायद-ए-आवाम कहा जाता था। पाकिस्तान में शुरूआती पढ़ाई करने के बाद बेनजीर भुट्टो शिक्षा लेने के लिए अमेरिका भेज दिया गया। हार्वर्ड से डिग्री लेने के बाद उन्होंने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। इस दौरान उनकी तस्वीरें पाकिस्तान की सियासी गलियारों में खूब सुर्खियों में रहती थीं।

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ऐसे संभाली पिता की विरासत

जुलाई 1977 में पाक आर्मी के चीफ जिया-उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट कर उनको जेल में डाल दिया। वहीं साल 1978 में भुट्टो को हत्या करवाने का दोषी पाकर उन्हें 04 अप्रैल 1979 को फांसी की सजा दी गई थी। पिता की मौत के बाद बेनजीर भुट्टो ने पाक की राजनीति में कदम रखा। हालांकि वह राजनीति की जगह पाकिस्तान की विदेश सेवा में आना चाहती थीं। 


पाकिस्तान की पहली महिला पीएम

बता दें कि बेनजीर भुट्टो साल 1988 में पहली बार चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनी थीं। लेकिन महज 2 साल में पाक राष्टपति ने उनको बर्खास्त कर दिया। साल 1993 में उन्होंने फिर से चुनाव लड़कर जीत हासिल की और दोबारा पाक पीएम बनीं। लेकिन इस बार भी बेनजीर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया। इस बार उनको जेल जाना पड़ा और जब वह जेल से बाहर आईं तो देश भी छोड़ना पड़ा।


मौत कर रही थी इंतजार

पाकिस्तान में कमजोर पड़ रहे लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए बेनजीऱ साल 2007 में फिर से देश वापस लौटीं। वह चुनाव की तैयारियों में जुट गईं। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान सेना के अलावा आतंकी संगठन पर भी जमकर निशाना साधा। बताया जाता है कि उनकी मौत से ठीक एक दिन पहले ISI के प्रमुख मेजर जनरल नदीम ताज ने बेनजीर भुट्टो से मिलकर चेतावनी देते हुए उनकी हत्या की संभावना जताई थी


मौत

बता दें कि 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली खत्म करके लौट रही बेनजीर भुट्टो अपनी कार से बाहर आकर लोगों का अभिवादन कर रही थीं। इस दौरान 15 साल के बिलाल ने बेनजीर भुट्टो के सिर में गोली मार दी और फिर खुद को बम से उड़ा लिया। जिसके बाद बेनजीर को आनन-फानन हॉस्पिटल पहुंचाया गया। लेकिन उससे पहले ही बेनजीर भुट्टो की मौत हो चुकी थी।

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