By आदर्श प्रकाश सिंह | Jan 07, 2025
खराब प्रदर्शन करके भारतीय क्रिकेट टीम ने दुनिया भर में अपनी प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। आस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज में 3−1 से मिली पराजय कई खिलाडि़यों का भविष्य भी तय करेगी। न्यूजीलैंड ने पिछले साल भारत के दौरे पर आकर 3−0 से हमारा सफाया किया था। इतना शर्मनाक प्रदर्शन करने के बाद भी हमारे खिलाडि़यों की नींद नहीं टूटी। वे आस्ट्रेलिया दौरे में अपना यही प्रदर्शन दोहराते रहे। इसका नतीजा हम सबके सामने है। तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को छोड़ दें तो बाकी सभी ने निराश किया है। लगातार दो सीरीज में मिली इस पराजय के कारण भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की दौड़ से बाहर हो गया है। जून में इंग्लैंड के लाड्र्स के मैदान पर होने वाले डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए अब दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला होगा। पिछले दो बार के फाइनल में भारत पहुंचा था लेकिन जीत हासिल नहीं हुई थी। एक बार न्यूजीलैंड ने तो दूसरी बार आस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम को हरा दिया था।
कंगारुओं ने जिस तरह हमारा मान मर्दन किया है वह बहुत दिनों तक खेल प्रेमियों को सालता रहेगा। पर्थ में पहले टेस्ट मैच में जीत के साथ शुरुआत करने के बाद भारतीय खेमा जिस तरह लड़खड़ाया उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलेगी। वरिष्ठ खिलाडि़यों का बल्ला पूरी तरह खामोश रहा। आउट ऑफ फार्म कप्तान रोहित शर्मा ने तो खुद को आखिरी टेस्ट से बाहर ही कर लिया। पांच पारियों में उनके बल्ले से महज 31 रन निकले। विराट कोहली ने पर्थ में शतक लगाकर सुखद संकेत दिया लेकिन बाद के मैचों में रन बनाने के लिए संघर्ष करते दिखे। कोहली ने 9 पारियों में 190 रन बनाए। इन दोनों सीनियर खिलाडि़यों से बड़ी उम्मीद थी लेकिन इन्होंने टीम का बेड़ा गर्क कर दिया। बीसीसीआई को इन दोनों के भविष्य के बारे में विचार करना होगा। टी−20 से ये दोनों संन्यास ले चुके हैं और काफी समय से टेस्ट मैचों में लचर प्रदर्शन जारी है। आखिर यह दौर कब तक चलेगा? बड़े नाम वाले खिलाड़ी कब तक टीम पर बोझ बने रहेंगे? कहना गलत नहीं होगा कि बल्लेबाजों की नाकामी से भारत को यह हार नसीब हुई है।
युवा यशस्वी जायसवाल सीरीज में 391 रन बना कर टॉप पर रहे। एक शतक और दो अर्ध शतक उनके नाम रहे। अनुभव के साथ वह परिपक्व होते जाएंगे लेकिन दूसरे ओपनर केएल राहुल ने बहुत निराश किया है। वह दस साल से खेल रहे हैं लेकिन अहम मौकों पर उन्होंने अपना विकेट गंवा दिया। सिर्फ दो अर्ध शतकों के साथ उनके खाते में 276 रन हैं। राहुल का करियर भी दांव पर है। युवा शुभमन गिल ने पिछले आस्ट्रेलियाई दौरे में बेहतर प्रदर्शन किया था, मगर इस बार गिल ने काफी निराश किया। एक भी पचासा उनके बल्ले से नहीं निकला। ऋषभ पंत गैर जिम्मेदाराना शाट लगाकर आउट होने के लिए विख्यात हैं। पांच साल से खेलने के बाद भी पंत का रवैया नहीं बदला है।
युवा नीतीश रेड्डी ने मेलबर्न में शतक लगाकर सभी को प्रभावित किया है। उनके खाते में 298 रन हैं। एक आलराउंडर की भूमिका के लिए नीतीश को आगे के लिए तैयार किया जा सकता है। रवींद्र जडेजा ने एक अच्छी पारी खेली लेकिन उन जैसे सीनियर बैटर से और बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षा थी। गेंदबाजी में भी वह कोई कमाल नहीं दिखा सके। टेस्ट प्रारूप में कप्तान का संकट भी दिख रहा है। रोहित यदि हटाए जाते हैं तो किसे यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
बुमराह ने अकेले दम गेंदबाजी का भार उठाए रखा। मोहम्मद शमी की कमी बहुत खली। बुमराह ने सीरीज में कुल 32 विकेट लिये। उन्हें 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' चुना गया है। टेस्ट कॅरियर में बुमराह के 200 विकेट पूरे हो गए हैं। सिडनी टेस्ट की आखिरी पारी में चोटिल होने के कारण बुमराह गेंदबाजी नहीं कर सके वर्ना मैच का नतीजा बदल भी सकता था। सिराज ने बुमराह के जोड़ीदार की भूमिका निभाई, पर वह असरदार नहीं रहे। सिराज ने 20 विकेट लिये। टेस्ट मैचों में उनके सौ विकेट हो गए हैं।
दौरे के बीच में ही स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के निर्णय ने सभी को चौंकाया। इससे यह भी पता चला कि टीम में सबकुछ ठीक नहीं है। अश्विन को केवल एक टेस्ट एडीलेड में खिलाया गया। अगला टेस्ट ब्रिसबेन में था जिसमें जडेजा को उतारा गया। इसी टेस्ट के दौरान अश्विन ने संन्यास का ऐलान कर दिया। वह भारत लौट भी आए। अश्विन सीनियर खिलाड़ी हैं। विदेशी दौरों पर उनको कई बार बाहर बैठाया गया है। कोच गौतम गंभीर का बर्ताव भी सुर्खियों में रहा। कई खिलाड़ी उनको लेकर सहज नहीं हैं। बीसीसीआई को जल्द ही इस हार की समीक्षा करके कुछ कड़े निर्णय लेने चाहिए। टीम से बड़ा कोई नहीं है।