By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 30, 2020
नयी दिल्ली। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में सभी दिव्यांग बालक-बालिकाओं के लिए अवरोध मुक्त शिक्षा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बुधवार को कहा कि विशिष्ट दिव्यांगता वाले बच्चों को कैसे शिक्षित किया जाए, यह नई शिक्षा नीति के तहत सभी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का एक अभिन्न अंग होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है।
गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गयी थी और इसमें 1992 में संशोधन किया गया था। गहलोत ने सिलसिलेवार ट्वीट कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिव्यांग और सामाजिक व आर्थिक रूप से सुविधाहीन पृष्ठभूमि वाले बालक-बालिकाओं के लिए मौजूद महत्वपूर्ण बिन्दुओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘ नयी शिक्षा नीति में विशिष्ट रूप से दिव्यांग बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए इसका ज्ञान सभी शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमों का अभिन्न अंग होगा’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम के तहत सभी दिव्यांग बालक-बालिकाओं के लिए अवरोध मुक्त शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि सहायक उपकरण, उपयुक्त तकनीक आधारित उपकरण और शिक्षण संबंधी उपयुक्त व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) भारतीय संकेत यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) पढ़ाने और आईएसएल का उपयोग करते हुए अन्य बुनियादी विषयों के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले तरीके विकसित करेगा।’’ उन्होंने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य एसईडीजी से संबंधित छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने और शिक्षा जगत में काफ़ी महत्वपूर्ण सुधार करने के लक्ष्य के साथ केबिनेट ने नयी शिक्षा नीति को मंज़ूरी दी।
उन्होंने कहा कि शिक्षण और सीखने में प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग कर की बाधाओं को दूर करने के साथ ही दिव्यांग छात्रों के लिए बढ़ती पहुंच को ध्यान में रखते हुए शैक्षिक योजना और प्रबंधन को उत्कृष्ट करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारण किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा लिंग समावेशन निधि का गठन किया जाएगा।