By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 27, 2021
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों को आगाह किया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के वर्गीकरण पर रोक हटाए जाने तथा कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच वे फंसे कर्ज की नजदीकी से निगरानी रखें और ऐसे कर्ज पर ऊंचे प्रावधान को तैयार रहें। रिजर्व बैंक की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च-अगस्त, 2020 के दौरान कर्ज की किस्त के भुगतान पर रोक का लाभ लेने वाले सभी ऋण खातों पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ कर दिया गया है, जिससे बैंकों की वित्तीय सेहत पर दबाव बनेगा।
केंद्रीय बैंक ने हालांकि, कहा कि ऊंचे पूंजी बफर, वसूली में सुधार और मुनाफे में लौटने की वजह से आज बैंक दबाव का प्रबंधन करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दबाव परीक्षण से संकेत मिलता है कि बेहद दबाव वाले परिदृश्य में भी बैंकों के पास कुल स्तर पर पर्याप्त पूंजी है। बैंक केंद्रित और प्रणाली आधारित निगरानी परीक्षण से संवेदनशील क्षेत्रों के बारे में संकेत मिलता है।’’ वार्षिक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि बैंकों को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) पर नजर रखने और उसी के अनुरूप प्रावधान करने की जरूरत है।