Bakrid 2024 | 'कुर्बानी' पर जब Irrfan Khan की टिप्पणी ने खड़ा कर दिया था बवाल, मौलवियों के पास नहीं थे अभिनेता के सवालों के जवाब

By रेनू तिवारी | Jun 17, 2024

अभिनेता इरफान खान अब इस दुनिया में नहीं है। वह शानदार एक्टिंक के साथ साथ शानदार विचार भी रखते थे। वह भले ही मुस्लिम थे लेकिन वह अपने ही धर्म की कुछ मान्यताओं और आतंकवाद के खिलाफ हमेशा बोलते थे। इरफान खान ने मुस्लिम धर्म के त्यौहार बरकी ईद को लेकर अपने विचार साझा किए थे जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के मौलवियों ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।  अभिनेता इरफान खान रमजान के दौरान उपवास और बकरीद के दौरान कुर्बानी की परंपराओं पर अपनी टिप्पणी के बाद विवादों में घिर गए थे। एक साक्षात्कार में अभिनेता ने कहा था कि उपवास करने के बजाय लोगों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुर्बानी के नाम पर जानवरों का वध किया जा रहा है। आगे विस्तार से बताते हुए इरफान ने कहा कि कुर्बानी का मतलब भेड़ या बकरी की जगह अपने किसी करीबी की कुर्बानी देना है।


'पीकू' अभिनेता ने कहा था कि आजकल धार्मिक गतिविधियों के पीछे की प्रासंगिकता खत्म हो गई है और लोग उनके पीछे के वास्तविक संदेश को जाने बिना ही उन्हें करते हैं। मुहर्रम पर टिप्पणी करते हुए अभिनेता ने कहा कि मुसलमानों ने मुहर्रम का मजाक उड़ाया है और जबकि यह शोक मनाने के लिए होता है, लोग इसे त्योहार की तरह मनाते हैं।

 

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इरफान ने आतंकवाद के मुद्दे पर न बोलने के लिए मुस्लिम नेताओं की भी आलोचना की और आम जनता से इस मुद्दे पर राजनेताओं से सवाल करने को कहा था। उनकी टिप्पणियों का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य जफरयाब गिलाबी ने खंडन किया, जिन्होंने अभिनेता की निंदा करते हुए कहा कि वह कोई धार्मिक नेता नहीं हैं और उनकी सलाह की जरूरत नहीं है। जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना खत्री ने भी अभिनेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इरफान खान को अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए और बेतरतीब बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।


अभिनेता इरफान खान ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी या इस्लामी अनुष्ठान पर टिप्पणी करते हुए अपने बयान में यह शब्द कहे थे--


इरफान ने कहा था  "जितने अनुष्ठान हैं, जितने त्यौहार हैं, हम उनका असल मतलब भूल गए हैं। हमने उनको एक तमाशा बना दिया है। कुर्बानी एक बहुत अहम त्यौहार है... इसका मतलब है बलिदान। उस समय बकरी भोजन का मुख्य स्रोत थी और बहुत से लोग भूखे रहते थे। इसलिए आपको एक तरह से अपने किसी प्रिय वस्तु की कुर्बानी देनी होती थी और उसे लोगों में बांटना होता था।

 

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अभिनेता ने कहा था “लेकिन आज अगर आप बाजार से दो बकरियां खरीदते हैं और उनसे आपका कोई लेना-देना नहीं है (कोई लगाव नहीं है), तो यह कुर्बानी कैसे हुई? यह सामान्य ज्ञान है: जो कोई भी कुर्बानी कर रहा है, उसे खुद से पूछना चाहिए कि अगर आप किसी और की जान लेते हैं, तो आपको उसका सवाब (इस्लाम के संदर्भ में पुरस्कार) कैसे मिलेगा? आप जान किसी और की ले रहे हों, आप कुर्बान उसको कर रहे हों, आपको पुण्य कैसे मिलेगा भाई? यह सामान्य ज्ञान है।


जहां दुनिया भर के मुसलमानों से उनकी राय को लेकर मिली-जुली राय आ रही है, वहीं सुपरस्टार आमिर खान ने इरफान की टिप्पणी पर अप्रत्याशित प्रतिक्रिया दी थी।


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