By अभिनय आकाश | May 24, 2021
एलोपैथी पर योग गुरु बाबा रामदेव के बयान के बाद से बढ़े विवाद पर अब विराम लगता दिख रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की नाराजगी के बाद बाबा रामदेव ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए एलोपैथिक दवा के खिलाफ दिया अपना बयान वापस ले लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए कहा कि बाबा रामदेव ने एलोपैथिक चिकित्सा पर अपना बयान वापस लेकर जिस तरह से पूरे मामले को विराम दिया है वह स्वागतयोग्य है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बयान को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
योग गुरू बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर बयान दिया था। विडियो वायरल होने के बाद डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने रामदेव से माफी मांगने को कहा था, साथ ही महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की थी। अब इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने अपनी बात रखी है। उन्होंने 23 मई को इस मामले में बाबा रामदेव को लेटर लिखा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एलोपैथी के बारे में दिये गए योग गुरु रामदेव के बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उन्हें इसे वापस लेने को कहा। उन्होंने कहा, आपका बयान कोरोना योद्धाओं का अनादर और देश की भावनाओं को आहत करता है। एलोपैथी पर आपका बयान स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल तोड़ सकता है। इससे कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एलोपैथी दवाओं ने करोड़ों लोगों का जीवन बचाया है और यह टिप्पणी ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि इससे लाखों लोगों की जान गई है। पत्र में कहा गया है, आप भी जानते हैं कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में बेशुमार स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जान गंवा दी। आप एलोपैथी चिकित्सा को नाटक, बेकार और दिवालिया कह रहे हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
क्या कहा था बाबा रामदेव ने
बाबा रामदेव ने वायरल वीडियो में कहा था कि गजब का तमाशा है। एलोपैथी एक ऐसी स्टूपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्वीन फेल हुई। फिर रेमडेसिविर फेल हो गई। फिर एंटीबायोटिक, स्टेरॉयड फेल हुए। प्लाजमा थेरेपी के ऊपर भी बैन लग गया। बुखार के लिए भी जो दे रहे हैं फेवीफ्लू वो भी फेल है। ये तमाशा हो क्या रहा है। बुखार की कोई भी दवाई कोरोना पर काम नहीं कर रही है।
IMA ने की कार्रवाई की मांग
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को योग गुरु रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने एलोपैथी के खिलाफ ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ बयान दिए और वैज्ञानिक चिकित्सा की छवि बिगाड़ी। वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने भी रामदेव के बयान की निंदा करते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। डॉक्टरों की शीर्ष संस्था ने एक बयान में कहा कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘‘अज्ञानता भरे’’ बयान ‘‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है और साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं।’’
बाबा रामदेव ने बयान लिया वापस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के एक पत्र का जवाब देते हुए रामदेव ने कहा कि वह इस मामले को शांत करना चाहते हैं। उन्होंने अपने निजी ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘‘माननीय हर्षवर्धन जी आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्धतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूं और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं।’’ रामदेव ने लिखा है कि वो एलोपैथी के विरोधी नहीं है और इस विवाद को विराम देते हैं और अपना बयान वापस लेते हैं।