राजनीति में ना होते हुए भी राजनीतिक दलों के लिए उपयोगी हो जाते हैं बाबा रामदेव

By अंकित सिंह | Jan 10, 2022

भले ही योग गुरु बाबा रामदेव सीधे-सीधे राजनीति से ना जुड़ें हो लेकिन कहीं ना कहीं जब भी चुनाव आते हैं उनके बयान काफी मायने रखते है। बाबा रामदेव के लाखों-करोड़ों अनुयाई हैं और यही कारण है कि राजनीति में ना होते हुए भी राजनीतिक दलों के लिए वह सदैव उपयोगी हो जाते हैं। कुल मिलाकर देखें तो बाबा रामदेव योग के साथ-साथ व्यापार में भी हाथ आजमा रहे हैं। लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिक तौर पर उनकी राजनेताओं के साथ पकड़ भी मजबूत रही है। हरिद्वार और आसपास के इलाकों में बाबा रामदेव ने अपनी अच्छी खासी पैठ बनाई है और पतंजलि योगपीठ के जरिए लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ उनके कल्याण के लिए भी काम करते हैं। उत्तर भारत की राजनीति में बाबा रामदेव अक्सर अपनी बयानों की वजह से सुर्खियों में आ जाते हैं। पर इस बार चुनाव अगर उत्तराखंड में है तो जाहिर सी बात है कि उत्तराखंड बाबा रामदेव की कर्मभूमि है ऐसे में उनको लेकर कयास लगातार लगाए जाएंगे।

 

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बाबा रामदेव की राजनीतिक दिलचस्पी किसी से छिपी नहीं है 2010 में बाबा रामदेव ने स्वाभिमान इंडिया प्राइड के नाम से एक राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की थी और साथ ही साथ कहा था कि वह अगले राष्ट्रीय चुनाव में हर सीट पर लड़ेंगे। हालांकि बाद में उन्होंने अपने इस प्लान को स्थगित कर दिया और विभिन्न प्रकार के आंदोलनों में शामिल होते गए। 2014 आते-आते बाबा रामदेव पूरी तरीके से बीजेपी के समर्थन में आ गए और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए लगातार बयान देने लगे। मोदी के समर्थन में बाबा रामदेव योग शिविर चलाने लगे। हालांकि कुल मिलाकर देखें तो 2014 के बाद से रामदेव लगातार भाजपा और नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक के रूप में उभरे हैं। 


बाबा रामदेव जनलोकपाल आंदोलन में भी शामिल हुए और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव की लड़ाई अब भी जारी है और वे राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस सरकार पर लगातार हमलावर रहे। उत्तराखंड में जब कांग्रेस की सरकार थी तब हमने देखा किस तरीके से बाबा रामदेव के ऊपर कई प्रकार के जांच किए गए तथा पतंजलि योगपीठ के बहुत सारे उत्पादों पर भी रोक लगाई गई। बाबा रामदेव भाजपा सरकार और केंद्रीय कानूनों को लेकर हमेशा से बयान देते रहे हैं। वह भाजपा के साथ हमेशा से खड़े दिखाई देते हैं। उत्तराखंड में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा को उनकी जरूरत भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या फिर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर पार्टी का कोई बड़ा नेता, वह बाबा रामदेव से जरूर मुलाकात करता है। इसके साथ ही हम यह समझ सकते हैं कि कहीं ना कहीं भाजपा बाबा रामदेव को हमेशा अपने साथ लेकर चलना चाहती है। 


एक परिचय

बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयद पुर गांव में हुआ था। योग को लोगों तक पहुंचाने में बाबा रामदेव ने अहम भूमिका निभाई। कभी हरियाणा की गलियों में साइकिल पर सवार होकर दवाइयां बेचने वाले रामदेव आज पूरी दुनिया में योग गुरु के रूप में पहचाने जाते हैं। गांव में ही आठवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रामदेव आचार्य प्रद्युम्न और योग आचार्य बलदेव जी से संस्कृत व योग की शिक्षा लेने के लिए खानपुर गांव पहुंचे। बचपन से ही बाबा रामदेव कुछ अलग करना चाहते थे। वह क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल व नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपना आदर्श मानते थे। यहां उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया और अपने माता-पिता व बंधु बांधव को सदा सर्वदा के लिए छोड़ दिया। युवावस्था में ही सन्यास लिया और स्वामी रामदेव बन गए।

 

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1995 से योग को लोकप्रिय बनाने के लिए वह अथक परिश्रम कर रहे हैं। बाद में बाबा रामदेव जींद जिले की यात्रा की और कालवा गुरुकुल में शामिल हो गए। वह निशुल्क लोगों को योग की प्रशिक्षण देते दे थे। बाबा रामदेव भारतीय प्राचीन संस्कृति और परंपरा को भी सिखाने में व्यस्त रहते थे। लोगों को इसकी भी शिक्षा देते रहते थे। 1995 में ही दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। स्वामी रामदेव आज घर-घर में बाबा रामदेव के नाम से जाने जाते हैं। 2003 से आस्था टीवी ने बाबा रामदेव के कार्यक्रम को प्रस्तुत करना शुरू किया जिसकी वजह से वह घर-घर तक प्रसिद्ध हो गए। टीवी के जरिए बाबा रामदेव ने भी योग को देश के साथ-साथ विदेशों में भी पहुंचाया। इसके साथ ही बाबा के अनेक लोग भक्त भी बन गए। आम हो या फिर खास, सभी बाबा से प्रभावित होने लगे। 


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