हिन्दुत्व की राजनीति के दौर में अखिलेश के लिए आजम खान का कोई महत्व नहीं रहा

By अजय कुमार | Apr 13, 2022

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा आजम खान की सपा हाईकमान से नाराजगी की जो बात सामने आ रही है, उसमें यदि दम है तो यह तय माना जाना चाहिए कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए खून के रिश्ते वाले चाचा शिवपाल यादव की तरह से ही राजनैतिक चाचा आजम खान भी अनुपयोगी हो गए हैं। इसीलिए तो दोनों चाचाओं का एक-सा दर्द सामने आ रहा है। शिवपाल की तरह आजम खान को भी लगने लगा है कि उनके साथ ‘भतीजे’ अखिलेश ने ‘यूज एंड थ्रो’ वाली ही सियासत की है। शिवपाल और आजम खान में समानता की बात की जाए तो दोनों ही सपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रह चुके हैं। दोनों ही पूर्व सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के भाई जैसे थे। दोनों की ही सपा में तूती बोला करती थी। सपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में दोनों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। दोनों ही कई बार विधान सभा का चुनाव जीत चुके हैं। इस समय दोनों के ही सितारे गर्दिश में चल रहे हैं, जिसकी वजह और कोई नहीं वही शख्स है जिसे शिवपाल और आजम ने गोद में खिलाया था। दोनों ने अपने सामने ही अखिलेश को बढ़ते देखा था। 2012 में अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने में इन दोनों नेताओं के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, जबकि मुलायम के बाद शिवपाल यादव और आजम खान मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रबल दावेदार समझे जाते थे। दोनों की ही गणना जनाधार वाले नेताओं के रूप में होती है और वोटरों पर अच्छी पकड़ है।

इसे भी पढ़ें: भारत के लिए खतरा बन रहे हैं भटके हुए नौजवान, जिम्मेदारी समझकर सही शिक्षा दें धर्मगुरु

सवाल यह है कि अखिलेश को आजम अनुपयोगी क्यों लग रहे हैं, तो जानकार इसकी वजह प्रदेश में हिन्दुत्व के उभार की राजनीति बता रहे हैं। 2014 में जबसे मोदी ने केन्द्रीय स्तर पर हिन्दुत्व की राजनीति   शुरू की थी और यूपी में वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था, तबसे अखिलेश की तुष्टिकरण की सियासत को ग्रहण लग गया है। 2017 तथा 2022 के विधानसभा और 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे कोई बड़ा राजनैतिक धमाका नहीं कर पाने वाले अखिलेश का धीरे-धीरे मुस्लिम-यादव सियासत से मोहभंग होता जा रहा है। अखिलेश को इस बात का भी मलाल है कि उनकी मुस्लिम परस्त छवि के कारण सपा का परम्परागत यादव वोटर भी मुंह मोड़ता जा रहा है। हाल यह है कि समाजवादी पार्टी की मुस्लिम परस्त छवि का खामियाजा उन दलों को भी भुगतना पड़ जाता है जो उनके साथ हाथ मिलाते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा से और 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ जुड़े कई छोटे-छोटे दलों को भी सपा का हाथ थामने का खामियाजा भुगतना पड़ा था।

       

बहरहाल, बात आजम खान की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराजगी की खबरों की कि जाए तो अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से आज़म खाम की शिकायत कोई अभी शुरू नहीं हुई है, बल्कि ये दर्द और नाराज़गी पुरानी है। 2017 में यूपी में योगी सरकार की शुरुआत के बाद से आजम खान के लिए जब बुरे दौर का आगाज हुआ तो अखिलेश यादव काफी हद तक इस मामले पर चुप्पी साधे रहे। आज़म खान के करीबियों का मानना है कि जब आज़म की गिरफ्तारी हुई तो अखिलेश ने इसका उस तरह से विरोध नहीं किया, जितना करना करना चाहिए था। अखिलेश न ही विधानसभा के भीतर इस मुद्दे को धारदार तरीके से उठा पाए, न ही सड़क पर आजम के पक्ष में कहीं कोई आंदोलन चलाया गया। आजम खान से मुलाकत तक नहीं करने जाते हैं अखिलेश यादव। विधानसभा चुनाव में सपा को 111 सीटें मिलीं, इसमें मुस्लिमों वोटरों की बड़ी भूमिका थी, लेकिन फिर भी अखिलेश ने जेल जाकर आजम से मिलना जरूरी नहीं समझा। इससे पूर्व जब विधानसभा चुनाव 2022 का मौका आया तो इस मैके पर आज़म खान खेमे में और ज्यादा नाराज़गी बढ़ गई, क्योंकि अखिलेश यादव ने सिर्फ आज़म खान और बेटे अब्दुल्ला आज़म को टिकट दिया, जबकि अखिलेश ने उनके समर्थकों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया था। बताया जाता है कि आजम खान ने करीब एक दर्जन अपने करीबी नेताओं की लिस्ट सपा प्रमुख को सौंपी थी, जो विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे।


इसके अलावा आज़म खान के समर्थक ये भी चाहते थे कि संसदीय सीट से इस्तीफा देकर रामपुर सीट से विधायक बने आजम खान को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए, लेकिन अखिलेश यादव खुद नेता प्रतिपक्ष बन गए। जबकि अखिलेश चाहते तो आजम खान को नेता प्रतिपक्ष बनवा कर आजम के लिए जेल से बाहर आने की राह आसान कर सकते थे। इसलिए जेल में बंद आज़म खान के करीबी खुल कर अखिलेश की मुखालिफत में सामने आ गए हैं। आज़म खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान शानू ने रामपुर में सपा कार्यालय में कहा कि आजम खां ने अखिलेश यादव और उनके पिता का समाजवादी पार्टी के बनने और मुख्यमंत्री बनने तक हर कदम पर साथ दिया, लेकिन जब अखिलेश यादव को साथ देने की बारी आई तो वह पीछे हट गए। आजम खान के करीबी और उनके मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने बातों ही बातों में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पर निशाना साधना शुरू कर दिया। शानू ने कहा कि जब आपने कहा कि मैं कोरोना का टीका नहीं लगवाऊंगा तो आजम खान ने जेल में कोरोना का टीका नहीं लगवाया। नतीजा ये हुआ कि वो मौत के मुंह में जाते-जाते बचे। इसके साथ ही आजम को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने को लेकर भी नाराजगी नजर आ रही है। उधर, योगी कई बार कह चुके हैं कि अखिलेश ही नहीं चाहते हैं कि आजम बाहर आएं। इसको लेकर भी आजम खान और अखिलेश के बीच दरार बढ़ी है।

   

आजम खान समर्थक अखिलेश को याद दिला रहे हैं कि अखिलेश यादव जी हमारा सलूक आपके साथ ये था कि जब 1989 में अपने वाजिद साहब को कोई सीएम बनाने को तैयार नहीं था, तब आज़म खान ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाओ। हमारा कुसूर ये था कि आपके वालिद मुलायम सिंह को राफीकुक मुल्क का खिताब दिया था। कन्नौज में जब आप चुनाव लड़े तो आजम खान ने कहा था कि टीपू को सुल्तान बना दो और जनता ने आपको सुल्तान बना दिया।

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम कट्टरपंथियों के कारण खुलकर भाजपा से जुड़ने में डरता है आम मुसलमान

आजम खान 1980 से ही रामपुर से चुनाव जीतते आ रहे हैं। बीच में 1996 में ही एक बार उन्हें कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। समाजवादी पार्टी की तरफ से 2009 में उन्हें 6 साल के लिए निकाल दिया गया था। हालांकि एक साल बाद ही निलंबन रद्द कर उन्हें वापस ले लिया गया। इसी बीच संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी सपा के मुस्लिमों के हित में काम नहीं करने का आरोप लगा दिया है। ऐसे में आजम के नए राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।

   

गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ जमीन पर कब्जे और आपराधिक गतिविधियों के 80 मामले दर्ज थे। आजम की पत्नी तजीन फातिमा राज्यसभा सांसद और पूर्व विधायक रह चुकी हैं। वहीं बेटे अब्दुल्लाह आजम खान स्वार सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं।


- अजय कुमार

प्रमुख खबरें

Arif Mohammad Khan केरल से हुए रवाना, कहा- राज्य के साथ उनका जुड़ाव आजीवन रहेगा

Delhi Elections 2025 । मनीष सिसोदिया ने जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र के लिए शिक्षा घोषणापत्र जारी किया

विंटर में रात को सोने से पहले पैर के तलवों पर लगा लें घी, इन समस्यों से मिलेगी निजात

BPSC Students Protest । सीएम हाउस की ओर बढ़ रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों पर पुलिस ने किया हल्का लाठीचार्ज