विश्वास की दुकान पर (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Dec 04, 2020

पाठकों की ज़रूरत व बाज़ार की नज़ाकत के मद्देनज़र कुछ महीने पहले हमारे पड़ोसी, कवि टर्न्ड ज्योतिषी हो गए। आरामदायक शाही कुर्सी पर बैठकर, समय का सही उपयोग कर ज्योतिष को अच्छी तरह से पिया, किताब भी लिखी और मनपसंद प्रसिद्द प्रकाशक से छपवाई। अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में, समारोह के रेले में दर्जनों किताबें रिलीज़ हो जाती हैं लेकिन पता नहीं चलता, विमोचन का भी पूरा लुत्फ़ नहीं आता। किसी भी किताब का लोकार्पण सही जगह पर, उपयुक्त कर कमलों द्वारा होना ज़रूरी है। प्रसिद्द व्यक्तियों और विशेषकर विमोचकों के हाथ और चेहरे इस शुभ कार्य के लिए हमेशा लालायित रहते हैं और किताब और कैमरा दोनों खुश हो जाते हैं। ख़ास हाथों से शुभ कार्य संपन्न हुआ इस बहाने अखबारों को भी बड़ी साहित्यिक खबर सचित्र छापने को मिली। 

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बाज़ार के शहर में फायदे के रास्तों की मार्किटिंग भी लाज़मी होती है। धूमधाम से ऑनलाइन लांच होते हुए बताया गया कि पिछले पचास साल के गहन अनुभव और अध्ययन का निचोड़ है यह किताब। भविष्य बेचने की गली में नया खिलाड़ी आ गया जिसका वक़्त बिकना शुरू हो गया। दो दिनों में ग्यारह लाख व्यूअर्स बताए गए थे और चैनलों पर धड़ाधड़ इंटरव्यू छाए जा रहे थे। विज्ञापन जलवागर होने लगे थे। नाकारा बैठे आलोचक कुछ परेशान हुए जब उन्हें बार बार समझा दिया गया कि ज्योतिष विज्ञान है, अंधविश्वास तो बिल्कुल नहीं। चैनल वाले चैनल पर ही धमकाने लगे, आप न मानो, न देखो हमारा चैनल, हमारे पास देखने वाले समझदार दर्शक कम नहीं हैं। अब भविष्य के अधिकृत रक्षक यही तो रहे, अपना व्यवसाय संभालने के लिए सकारात्मक बातें करनी ही चाहिए थी। इधर कमबख्त कोरोना सबका भविष्य छिपाए जा रहा था और सभी अखबारी दावे कि अदृश्य दुश्मन अब गया और तब गया, सचमुच अखबारी साबित होने लगे थे।

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महामारी के बदलते मिजाज़ के सामने उनके सारे प्रसंग संक्रमण की जद में आकर क्वारंटीन हो चुके हैं। वे यही बताते रहे कि कौन से ग्रह उलटी चाल चलेंगे, कहां उनका विस्तृत विश्लेषण, आकलन और साक्षात्कार प्रकाशित हुआ है। सूर्य ग्रहण कब होगा, किस किस देश में दिखेगा, अर्थ व्यस्था पर क्या असर होगा, कौन से ग्रहण को कौन सा ग्रहण खा जाएगा, रियल इस्टेट व आई टी सेक्टर बारे भी बताया। उन्होंने अमेरिका और चीन में बढ़ रहे तनाव बारे विस्तारपूर्वक समझाया। जब उन्होंने बताया कि फलां ग्रह कितनी तारीख को इस या उस राशी में प्रवेश करेगा तो उनके भक्तों ने बिना पानी, हाथ धो धो कर याचना की, हमारा वर्तमान और भविष्य काबू करने वाला यह कमबख्त अदृश्य दुश्मन खतरा, डर और मौत बांट रहा है। बताइए कोरोना का विनाश कब होगा, देश की गाडी कब पटरी पर आएगी तो उन्होंने कहा चिंता मत करें, यह मामला सृष्टि रचयिता ने अपने हाथों में ले लिया है, जब वे दिन नहीं रहे तो ये दिन भी नहीं रहेंगे। दर्शक जानते थे पहले भी बताया जाता था कि पुत्ररत्न पैदा होगा लेकिन आती थी खाली हाथ लक्ष्मी। अभी तो समय के दरवाज़े पर जिज्ञासाएं, प्रार्थनाएं बनी खड़ी हैं जिनमें इस अनचाहे मेहमान के वापिस जाने की चिंताएं ज्यादा है। अवांछित अतिथि कब जाएगा, खुद उसे नहीं पता, फिलहाल हमें खाली हाथ पर्यटक बनाने की जुगत में है। कवि का नया ज्योतिषीय दावा अभी आने को है।


- संतोष उत्सुक

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