By नीरज कुमार दुबे | Aug 14, 2024
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम लगातार अपने पड़ोसी राज्यों के साथ सीमा संबंधी विवाद सुलझाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस क्रम में अब असम ने मिजोरम के साथ सीमा विवाद को सुलझाने की पहल की है। दोनों राज्यों के मंत्रियों के बीच हुई बैठक में मुद्दे सुलझाने की दिशा में अहम फैसले किये गये और वार्ता का अगला दौर जनवरी 2025 में आयोजित किया जायेगा। हम आपको बता दें कि मिजोरम और असम अपने दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयासों के तहत अंतरराज्यीय सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।
हम आपको बता दें कि दोनों राज्यों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच हाल ही में आइजोल में हुई बैठक से पहले मिजोरम और असम के बीच पिछले दौर की बातचीत 20 महीने पूर्व यानि नवंबर 2022 में गुवाहाटी में हुई थी। इसके अलावा, अगस्त 2021 के बाद से दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच मंत्रियों के स्तर की यह चौथी वार्ता है। पिछले साल दिसंबर में ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के सत्ता में आने के बाद यह पहली बैठक है। मिजोरम के तीन जिले- आइजोल, कोलासिब और मामित- असम के कछार, कर्मगंज और हैलनकांडी जिलों के साथ 164.6 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। यह विवाद मुख्य रूप से 1875 और 1933 के दो औपनिवेशिक सीमांकनों से पैदा हुआ है। इसे सरल भाषा में समझें तो कहा जा सकता है कि यह विवाद औपनिवेशिक काल के दो परिसीमनों- बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) के तहत 1875 की अधिसूचना और 1933 के भारतीय मानचित्र सर्वेक्षण से जुड़ा है।
मिजोरम का दावा है कि 1875 की अधिसूचना के अनुसार, इनर लाइन आरक्षित वन क्षेत्र में 509 वर्ग मील का इलाका उसकी सीमा में आता है, जबकि असम 1933 के नक्शे को अपनी संवैधानिक सीमा मानता है। परिणामस्वरूप, आरक्षित वन में कुछ क्षेत्र अब असम के अंतर्गत आते हैं और 1933 के सीमांकन के तहत कुछ हिस्से मिजोरम की तरफ हैं। हम आपको बता दें कि जुलाई 2021 में उस समय संघर्ष बढ़ गया था जब दोनों राज्यों के पुलिस बलों के बीच सीमा पर गोलीबारी हुई, जिसके परिणामस्वरूप असम के छह पुलिसकर्मियों और एक आम नागरिक की मौत हो गई तथा 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
फिलहाल दोनों राज्य शांति बनाये रखने और स्थायी शांति के उपाय तलाशने पर सहमत हो गये हैं। असम के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले राज्य के सीमा सुरक्षा और विकास मंत्री अतुल बोरा ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि चर्चा सकारात्मक और सार्थक रही। उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के वास्ते समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अतुल बोरा ने कहा कि दोनों पक्षों ने पड़ोसी देशों से तस्करी कर लाई गई सुपारी के परिवहन के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। अतुल बोरा ने कहा कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारी संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अगले साल 31 मार्च से पहले संयुक्त सांस्कृतिक और खेल उत्सव आयोजित करेंगे। दोनों राज्य 31 मार्च, 2025 से पहले गुवाहाटी में अगले दौर की मंत्रिस्तरीय वार्ता आयोजित करने पर भी सहमत हुए।
अतुल बोरा ने कहा कि दोनों राज्य सरकारें दशकों पुराने विवाद का समाधान चाहती हैं ताकि दोनों तरफ अंतर-राज्यीय सीमा के पास रहने वालों के लिए स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। आइजोल से लौटने के बाद गुवाहाटी में संवाददाताओं से बातचीत में अतुल बोरा ने कहा कि पिछले साल मिजोरम में विधानसभा चुनावों के कारण सीमा विवाद को लेकर वार्ता नहीं हो पायी। अब हम फिर से विवाद को सुलझाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिजोरम का एक मंत्रिस्तरीय समूह जनवरी तक अगले दौर की वार्ता के लिए गुवाहाटी का दौरा करेगा। हमने उन्हें अपना निमंत्रण दिया है। उन्होंने बताया कि असम के प्रतिनिधिमंडल ने यात्रा के दौरान मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा से भी मुलाकात की। अतुल बोरा ने कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री ने हमारे सामने अपने बयान में स्पष्ट किया था कि वे भी सीमा समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उनकी प्रतिबद्धता के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि मिजोरम के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले राज्य के गृह मंत्री के. सपडांगा ने भी आशा व्यक्त की है कि जटिल सीमा विवाद का समाधान हो जाएगा। जहां तक इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के बयान की बात है तो आपको बता दें कि मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि उनकी सरकार पड़ोसी राज्य असम के साथ सीमा विवाद सुलझाने और सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। लालदुहोमा ने एक बयान में कहा कि उनकी सरकार “मौजूदा कार्यकाल के दौरान अंतरराज्यीय सीमा विवाद को हल करने की इच्छुक है।” लालदुहोमा ने कहा कि अतीत में दोनों राज्यों के बीच कई बैठकें हुई थीं, जिनमें मुख्य रूप से यथास्थिति बरकरार रखने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में सही कदम नहीं था, बल्कि इससे शांति प्रक्रिया और सौहार्दपूर्ण ढंग से सीमा विवाद सुलझाने में देरी हुई।