By रितिका कमठान | Jul 03, 2024
बीते कुछ दिनों से असम में भारी बारिश हो रही है। लगातार बादल बरसने के कारण असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) और टाइगर रिजर्व के अधिकांश हिस्सों में बाढ़ आ गई है। ये जानकारी अधिकारियों ने दी है। अधिकारियों की मानें तो बुधवार सुबह तक पार्क के अंदर स्थित 233 वन शिविरों में से 178 शिविर में पानी पांच फीट के नीचे बना हुआ है।
गौरतलब है कि काजीरंगा नेशनल पार्क मूल रूप से लुप्तप्राय एक सींग वाले गैंडों की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का घर है, कम से कम पांच फीट पानी के नीचे हैं। वन अधिकारियों ने बताया कि 80 जलमग्न शिविर पार्क के अगराटोली और काजीरंगा रेंज में हैं। बाढ़ के बढ़ते पानी के कारण वन रक्षकों ने पार्क के अंदर स्थित नौ शिविरों को खाली कर दिया है। बुधवार को वन अधिकारियों द्वारा बाढ़ की स्थिति पर जानकारी सामने आई है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति के कारण एक गैंडे के बच्चे सहित आठ जंगली जानवर मारे गए। हालांकि वन अधिकारी 44 जानवरों को बचाने में सफल हुए है।
काजीरंगा नेशनल पार्क की निदेशक सोनाली घोष ने मरने वाले जानवरों की प्रजातियों का विवरण दिए बिना बताया, "सभी जानवर प्राकृतिक कारणों - डूबने और थकावट - के कारण मर गए हैं।" अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बाढ़ के कारण मारे गए जानवरों में हॉग डियर और एक गैंडे का बच्चा शामिल है।
मुख्यमंत्री ने लिया था पार्क का जायजा
बता दें कि इससे पहले मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा स्थिति का जायजा लेने के लिए पार्क के कुछ हिस्सों और आस-पास के इलाकों का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि जानवरों को बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को तैनात किया गया है। स्थिति का नीरिक्षण करने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट किया, "बाढ़ का पानी काजीरंगा के अधिकांश हिस्सों में घुस गया है और इससे जंगली जानवर प्रभावित हुए हैं। एक गैंडे के बच्चे की मौत हो गई है। एनडीआरएफ और वन विभाग के कर्मचारी जानवरों को बचाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं।"
हर वर्ष आती है बाढ़
हर साल, जब बाढ़ का पानी काजीरंगा में प्रवेश करता है, तो गैंडे और हाथी सहित जंगली जानवर सुरक्षा के लिए पार्क के साथ स्थित NH-37 को पार कर दूसरी तरफ की पहाड़ियों और ऊंचे स्थानों पर चले जाते हैं। ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए, 1 जुलाई से राज्य सरकार ने कुछ यातायात नियम लागू किए हैं, जिनमें पार्क के साथ-साथ चलने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाणिज्यिक ट्रकों के चलने पर प्रतिबंध भी शामिल है। इस दौरान सभी यात्री वाहनों, चाहे वे निजी हों या वाणिज्यिक, को नियंत्रित गति से चलने की अनुमति होगी तथा हर 30 मिनट पर पुलिस और वन कर्मचारियों द्वारा उनकी सुरक्षा की जाएगी।