By नीरज कुमार दुबे | May 30, 2023
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे से पहले कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच के सभी मतभेदों को सुलझाने का दावा करते हुए कहा है कि यह दोनों नेता साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसी के साथ ही कांग्रेस ने इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों में 200 में से 150 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने गहलोत और पायलट के साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मैराथन बैठक के बाद कहा है कि दोनों नेता मिलकर काम करेंगे और उनके बीच के मुद्दों का समाधान आलाकमान करेगा। हालांकि पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह ऐलान करते हुए इस बात का ब्योरा नहीं दिया कि आपसी सहमति कैसे हुई।
वैसे वेणुगोपाल ने भले दोनों नेताओं की आपसी दूरी खत्म होने की बात कही लेकिन यदि आप बैठक के दौरान के फोटो या वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि गहलोत और पायलट एक दूसरे की तरफ देख भी नहीं रहे थे। यही नहीं, बैठक के बाद जब गहलोत और पायलट के साथ वेणुगोपाल मीडिया के साथ बात कर रहे थे तब भी गहलोत और पायलट ने ना हाथ मिलाया और ना ही एक दूसरे से आंखें मिलाईं। दोनों के बीच खिंचाव साफ नजर आ रहा था, ऐसे में कांग्रेस के इस दावे पर सवाल उठना लाजिमी है कि राजस्थान संकट का हल निकाल लिया गया है। देखना होगा कि क्या कांग्रेस आलाकमान की तरफ से निकाले गये फॉर्मूले के तहत सचिन पायलट को फिर से उपमुख्यमंत्री या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाता है या उनके लिए कोई और भूमिका तलाशी जायेगी। इस पर भी नजरें रहेंगी कि पायलट को निकम्मा, नाकाबिल तथा विश्वासघाती तक बता चुके गहलोत क्या फिर से सरकार या संगठन में पायलट की वापसी को पचा पाएंगे? जिस तरह से सचिन पायलट अपने आंदोलन और जन संघर्ष यात्रा के माध्यम से मुख्यमंत्री पर निशाना साधते रहे हैं और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं उसको देखते हुए लगता नहीं कि राजस्थान का रण आसानी से सुलझ पायेगा।
जहां तक कांग्रेस आलाकमान की ओर से की गयी बैठक की बात है तो आपको बता दें कि इस सुलह वार्ता में भी गहलोत और पायलट अलग-अलग समय पर ही पहुँचे थे। हालांकि मीडिया से मुखातिब होने के दौरान लंबे समय बाद दोनों नेता एक साथ नजर आए। बैठक के बाद वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी के साथ मंत्रणा की। हमने फैसला किया है कि कांग्रेस एकजुट होकर यह चुनाव लड़ेगी। दोनों (गहलोत और पायलट) सहमत हैं कि कांग्रेस को एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरना चाहिए और राजस्थान में हम निश्चित तौर पर चुनाव जीतेंगे।’’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘राजस्थान कांग्रेस के लिए एक मजबूत स्थिति वाला राज्य होगा। दोनों नेता प्रस्ताव पर सहमत हैं।’’ यह पूछे जाने पर यह प्रस्ताव क्या है, वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘दोनों ने आलाकमान पर छोड़ दिया है। चुनाव में साथ में जाने का फैसला किया है और हम मिलकर लड़ेंगे और भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज करेंगे।”
इस बैठक के बारे में सूत्रों का कहना है कि खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में गहलोत और पायलट के बीच सुलह के किसी फार्मूले पर सहमति बनाई गई है। हम आपको यह भी बता दें कि मुलाकात से पहले गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस आलाकमान आज भी इतना मजबूत है कि कोई नेता यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता कि वह अपनी पसंद का पद लेगा या फिर पार्टी उसे मनाने के लिए पद की पेशकश करे। हम आपको यह भी बता दें कि हाल ही में ‘जनसंघर्ष यात्रा’ निकालने वाले पायलट ने मई के अंत तक उनकी मांगें नहीं मानने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। पायलट ने हाल में तीन मांगें रखी थीं, जिनमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करना और इसका पुनर्गठन, सरकारी परीक्षा के पेपर लीक होने से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देना और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराना शामिल है।
बहरहाल, राजस्थान में पार्टी को एकजुट करने के लिए आलाकमान भले प्रयास कर रहा हो लेकिन राज्य में कांग्रेस संगठन किस कदर बिखरा हुआ है इसका नजारा एक दिन पहले तब देखने को मिला था जब सीकर जिले में विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पार्टी विधायक राजेंद्र पारीक के बीच तीखी बहस हो गई थी। सीकर जिले की प्रभारी मंत्री शकुंतला रावत ने विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए कलेक्टरेट सभागार में एक बैठक बुलाई थी। डोटासरा और पारीक इसी जिले से विधायक हैं। बैठक में दोनों के बीच कहासुनी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।