Ashadha Amavasya 2024: पितरों को प्रसन्न के लिए किया जाता है आषाढ़ अमावस्या व्रत

By प्रज्ञा पाण्डेय | Jul 04, 2024

5 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या है, अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। आषाढ़ में पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है तो आइए हम आपको आषाढ़ अमावस्या व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 


जानें आषाढ़ अमावस्या व्रत के बारे में 

पंचांग के अनुसार 05 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या तिथि पड़ रही है। इस शुभ अवसर पर स्नान-दान का विशेष महत्व है। साथ ही भगवान विष्णु और पितरों की पूजा की जाती है। पंडितों का मानना है कि पितरों के प्रसन्न होने से जातक को पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा करने से साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण में वर्णन है कि अगर कोई इंसान किसी वजह से अपने पितरों को पितृ पक्ष के दौरान तर्पण करना भूल जाता है, तो आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ तर्पण कर सकता है। 

 

आषाढ़ अमावस्या का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 06 जुलाई को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का पर्व 05 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बेहद उत्तम माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 08 मिनट से लेकर 04 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूजा करने के बाद दान करें।

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आषाढ़ अमावस्या करें ये कार्य

अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल ड़ालकर स्नान करें। इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करें। अंत में उन्हें खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद अमावस्या पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र का दान करें। धार्मिक मत है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।  


आषाढ़ अमावस्या के उपाय

पंडितों का मानना है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन आप पवित्र नदियों में से किसी एक में स्नान करें। उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, फल और एक पात्र का दान जरूर करें। इससे आपको पुण्य लाभ होगा। आपके सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर प्रात:काल में स्नान के करने के बाद अपने पितरों को स्मरण करें। कुशा के पोरों से उनको जल, काले तिल, सफेद फूल आदि से तर्पण दें। तर्पण देने से पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। इससे धन, दौलत, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।


पितरों के लिए दीपक जलाने का समय

आषाढ़ अमावस्या के दिन जब सूर्यास्त हो जाए या फिर दिन ढलने के साथ अंधेरा होने लगे तो उस समय पितरों के लिए दीपक जलाना चाहिए। इसे आप प्रदोष काल में भी जला सकते हैं। आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्यास्त शाम को 07:23 बजे होगा।

 

ऐसे करें आषाढ़ अमावस्या पर तर्पण 

आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण का सबसे शुभ और सही समय प्रात काल कहा गया है। सुबह सूर्योदय के समय किया गया तर्पण पितरों को प्रसन्न कर देता है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर लोटे में जल लें। इस जल में काले तिल, कुश और सफेद फूल डालें और पितरों का नाम लेते हुए, उनको प्रणाम करते हुए दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके तर्पण करें। कहा जाता है कि इस तर्पण से प्रसन्न होकर पितर जातक को सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं और परिवार में सुख समृद्धि भी बनी रहती है।


आषाढ़ अमावस्या पर होती है भगवान विष्णु की पूजा

यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित रहती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और इसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। इसलिए इस दिन हल की पूजा भी की जाती है। आपको बता दें कि साल की सभी 12 अमावस्या खास मानी जाती हैं, लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या को पूजा-पाठ करने और स्नान करके पितरों का तर्पण किया जाता है।


पितरों के लिए दीपक जलाने का नियम

पंडितों का मानना है कि पितरों को दीपक जलाने के लिए आप मिट्टी के दीए का इस्तेमाल कर सकते हैं। उसे साफ पानी से धोकर सुखा लें। दिन ढलने के समय आप पितरों के लिए दीपक जलाएं। उसमें सरसों का तेल और रुई की बाती का उपयोग करें। सरसों के जगह पर तिल के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। इनमें से जो भी तेल आपके पास आसानी से उपलब्ध हो, उसका इस्तेमाल कर लें। दीपक जलाकर उसे अपने मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रखें। उसे पितरों को समर्पित करें। दक्षिण को पितरों की दिशा मानते हैं।


अमावस्या के दिन पितृ तर्पण के लाभ 

अपने पितृ देवताओं को अगर आप तर्पण देना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे सही समय सुबह का ही माना जाता है। सूर्योदय के बाद 9 बजे तक आप तर्पण कार्य, दान-पुण्य कर सकते हैं। सही समय पर श्रद्धापूर्वक अगर आप पितरों का तर्पण करते हैं तो आपके जीवन की बड़े से बड़ी परेशानी दूर हो सकती है।  इसके साथ ही जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है वो भी इसके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। पितरों का तर्पण करने से मानसिक और शारीरिक बदलाव आपको देखने को मिल सकते हैं। पितृ देवताओं का आशीर्वाद आपको करियर और आर्थिक मोर्चे पर भी सफलता दिलाता है।


- प्रज्ञा पाण्डेय

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