By नीरज कुमार दुबे | Dec 09, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या अब यूक्रेन को अमेरिका से मदद मिलना मुश्किल होता जायेगा? हमने यह भी जानना चाहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस समय चल रही विदेश यात्राओं का उद्देश्य क्या है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस युद्ध ने हाल के दिनों में कुछ रफ्तार पकड़ी है। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ऐलान कर चुके हैं कि वह मार्च 2024 में एक बार फिर से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वैसे तो रूस में चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं पर फिर भी पुतिन का यह प्रयास है कि वह अपनी जनता को यह दिखाएं कि उनके नेतृत्व में रूसी सेना यूक्रेन और उसके मददगार नाटो तथा पश्चिमी देशों पर भारी पड़ रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है कि यूक्रेन पर रूस की बढ़त बढ़ती जा रही है और जिस तरह यूक्रेन सरकार अब पूरी तरह विदेशी मदद पर निर्भर होती जा रही है वह उस देश के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आखिर कोई भी कब तक और कितनी मदद करता रह सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मददगार देशों की जनता अपनी सरकारों से सवाल पूछ रही है कि हमारे बजट में कटौती कर और हम पर नये टैक्स लाद कर यूक्रेन को कब तक मदद दी जाती रहेगी। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष में कई देशों में चुनाव होने हैं और जनता की नाराजगी देखकर जल्द ही कई देशों का रुख बदलने वाला है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस बीच, यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता का भाग्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकनों ने यूक्रेन और इजराइल के लिए अरबों डॉलर की मदद और मैक्सिकन सीमा पर घरेलू सुरक्षा उपायों के लिए एक आपातकालीन व्यय बिल को अवरुद्ध कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन यूक्रेन के लिए अमेरिकी फंडिंग को रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन को मदद दिये जाने का भरोसा दिलाया है लेकिन लग रहा है कि वह सहायता राशि में कुछ कटौती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की यह हालत देख पुतिन को अब अपनी जीत बेहद करीब लग रही है। उन्होंने कहा कि पुतिन को पहले से भरोसा था कि यूक्रेन पर पश्चिमी और नाटो देशों की ओर से होने वाली डॉलरों की बरसात एक ना एक दिन बंद होगी ही।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक रूसी राष्ट्रपति की बात है तो उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बीच कुछ समय पहले चीन का दौरा किया था और अब उन्होंने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से मदद की उम्मीद में यह यात्रा की। उन्होंने कहा कि यह दोनों देश अमेरिका के प्रमुख सहयोगी देश हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े तेल उत्पादक देश होने के चलते इनका दुनिया पर प्रभाव भी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद पुतिन की इस क्षेत्र की यह पहली यात्रा थी। उन्होंने कहा कि पुतिन इन देशों की यात्रा पर इसलिए भी गये क्योंकि यहां उन्हें अपने खिलाफ जारी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के वारंट के चलते गिरफ्तारी का कोई खतरा नहीं था। उन्होंने कहा कि इन देशों ने आईसीसी की स्थापना संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं इसलिए पुतिन यहां बेधड़क पहुँच गये थे। उन्होंने कहा कि यहां पर पुतिन का जिस तरीके से स्वागत हुआ उससे लगा नहीं कि वहां उनके खिलाफ किसी प्रकार का माहौल है।