नयी दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के शीर्ष बैंक प्रमुखों के साथ बैठक की जिसमें अर्थव्यवस्था में नकदी की स्थिति की समीक्षा की गई। कुछ क्षेत्रों द्वारा नकदी संकट का सामना करने की चिंताओं के बीच यह बैठक हुई है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। सूत्रों ने बताया, बैंकों ने कहा कि उनके पास गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के समक्ष उपस्थित तरलता संकट को दूर करने के लिये पर्याप्त नकदी उपलब्ध है। इस बैठक में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव भी उपस्थित थे। सूत्रों ने कहा, छह बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों ने सरकार को आश्वासन दिया कि प्रणाली में पर्याप्त तरलता मौजूद है।
बैठक में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख शामिल हुये। सूत्रों ने बताया कि आवासीय वित्तपोषण क्षेत्र के नियामक राष्ट्रीय आवास बैंक ने क्षेत्र में नकदी संकट से जूझने के लिए एक विस्तृत पुनर्वित खिड़की की शुरूआत की है। इससे पहले एनएचबी ने 2018-19 के लिये पुनर्वित्त की सीमा बढ़ाकर 30 हजार करोड़ रुपये कर दी। यह सीमा मूलत: 24 हजार करोड़ रुपये थी। पिछले चंद सप्ताह के दौरान डीएचएफएल समेत अधिकांश आवासीय वित्तपोषण कंपनियों के शेयर कर्ज में फंसी कंपनी आईएलएंडएफएस का मामला सामने आने के बाद तरलता संकट को लेकर भारी गिरावट में रहे हैं।
शुक्रवार को दिन में वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा था कि सरकार जल्दी ही नकदी संकट तथा वित्तीय संस्थानों की संपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए आवश्यक कदमों की घोषणा करेगी। इस बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह बाजार में नकदी स्थिति बेहतर करने के लिए नवंबर महीने में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद कर बाजार में 40 हजार करोड़ रुपये की नकदी झोंकेगा। रिजर्व बैंक इससे पहले अक्टूबर में भी 36 हजार करोड़ रुपये बाजार में डाल चुका है।