By अभिनय आकाश | Jun 27, 2022
कहते हैं सियासत, संघर्ष और धैर्य का खेल है। लिहाजा इसमें तपकर ही रहनुमाओं को सफलता मिलती है। इसी धैर्य का जिक्र राहुल गांधी ने बीते दिनों सचिन पायलट का उदाहरण देकर किया। लेकिन कभी निकम्मा औ नकारा जैसे शब्दों से सचिन पायलट को सुशोभित करने वाले अशोक गहलोत ने एक बार फिर उनके धैर्य की परीक्षा ली है। अशोक गहलोत ने जिस तरह से सचिन पायलट का नाम लेकर उन पर सरकार गिराने की कोशिश का आरोप लगाया है उससे राजस्थान में 2 साल पहले वाले हालात पैदा होने के आसार दिखने लगे हैं।
राजस्थान के सियासी गलियारों में एक बार फिर हलचल है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दिए गए बयान ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। एकजुटता के तमाम दावों के बीच अशोक गहलतो और सचिन पायलट के बीच सियासी अदावत एक बार फिर से सामने आ रही है। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के सरकार गिराने के षड़यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है। बता दें कि अब तक दोनों इशारों ही इशारों में एक दूसरे पर तंज कस रहे थे। लेकिन खुले तौर पर एक दूसरे का नाम लेने से परहेज किया जा रहा था। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव से सवा साल पहले ये लक्ष्मण रेखा टूटती हुई नजर आ रही है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2020 के राजनीतिक संकट के संदर्भ में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर की गई टिप्पणी के लिए शनिवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधा। गहलोत ने कहा कि शेखावत ने अपने इस बयान से साबित कर दिया है कि वह 2020 में उनकी सरकार गिराने (के प्रयास) में मुख्य किरदार थे और पायलट के साथ मिले हुए थे। शेखावत ने हाल ही में चौमूं में एक सभा में कहा था कि 2020 में पायलट से चूक हो गई। उन्होंने कहा,‘‘ अगर वह मध्य प्रदेश (के विधायकों) जैसा फैसला करते, तो राजस्थान के 13 जिलों के लोग प्यासे नहीं होते। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी)पर काम चालू हो चुका होता।’’