By अनुराग गुप्ता | Jan 21, 2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आज नामांकन का आखिरी दिन है। और आखिरी दिन कई जानी मानी सीटों के उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया। उसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भाजपा के तजिंदर बग्गा, सुनील यादव, कांग्रेस के मुकेश शर्मा, परवेज हाशमी सहित कई जाने माने नेता शामिल थे। लेकिन सवाल जो आज सबसे ज्यादा चल रहा है वह ये है कि केजरीवाल ने बीते दिन यानी कि 20 जनवरी को नामांकन दाखिल क्यों नहीं किया। इसके पीछे वजह क्या थी। क्या सच में कोई टोटके वाली बात थी।
क्या सच में टोटके को मांगते हैं अरविंद केजरीवाल ?
कहा जाए तो राजनीति में ये अक्सर देखा जाता रहा है कि राजनेता पंडितों की सलाह के अनुरूप ही कामकाज करते हैं। लेकिन खुद को आम जनता की पार्टी बताने वाली आम आदमी पार्टी ने भी ऐसा कुछ मानती है। अगर हम पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 20 जनवरी का ही वो दिन था जब अरविंद केजरीवाल ने रोड शो निकाला था और नामांकन भरने जा रहे थे लेकिन उस दिन भी वह नामांकन के लिए नहीं पहुंच पाए थे और 2020 के चुनावों में भी वहीं देखा गया। इस पर केजरीवाल ने कहा कि नामांकन से पहले रोड शो में इतनी ज्यादा भीड़ थी कि वह 3 बजे तक नामांकन दाखिल करने के लिए नहीं पहुंच पाए इस वजह से उन्हें आखिरी दिन नामांकन भरना पड़ा।
ये सब जान दो आपको एक मजेदार बात बताते हैं नामांकन भरते समय उम्मीदवारों का अपनी सम्पत्ति के बारे में जानकारी देनी पड़ती है और हम आपको आज आम आदमी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों के बारे में बताते हैं।
तो क्या आज उम्मीदवारों के आय पर ही चर्चा होगी ?
क्यो नहीं... नेताओं की आय के बारे में भी तो जनता को जानकारी होनी चाहिए। केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं सत्येंद्र जैन। विधायक बनने के से उनकी सम्पत्ति में गिरावट होने लगी। जैन ने जब पहली बार 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा था उस वक्त उन्होंने चुनाव आयोग को जो जानकारी दी थी उसके मुताबिक उनकी सालाना आय 8 लाख 51 हजार रुपए थी। लेकिन अब के चुनाव में जैन की सालाना आय 1 लाख 75 हजार रुपए है। इतना ही नहीं पहले उनके पास 4 कार हुआ करती थी जो अब 2 ही हैं। वैसे इस बार फिर से सत्येंद्र जैन को शकूर बस्ती से उम्मीदवार बनाया गया है।
तो क्या AAP के हर बड़े चेहरे की आय में गिरावट आई है ?
नहीं... ऐसा नहीं है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी प्रमुख गोपाल राय को ली ले लीजिए। उनकी सालाना आय में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है। 2015 में जब गोपाल राय ने चुनाव लड़ा था उस वक्त उनकी सालाना आय 1 लाख 66 हजार थी जो 2020 में 4 लाख 7 हजार 90 रुपए हो गई। जबकि ट्रांसपोर्ट मंत्री कैलाश गहलोत की पांच साल में सालाना आय दोगुनी हुई है। 2013 के चुनाव में 96 लाख 26 हजार थी। हालांकि अब उन्होंने अपनी सालाना आय 2 करोड़ 30 लाख रुपए बताई है। वहीं, पार्टी की बात मीडिया में रखने वाले राघव चढ्ढा की आय में गिरावट देखी गई। लोकसभा चुनाव 2019 के समय उन्होंने अपनी सालाना सम्पत्ति 2 लाख 19 हजार 230 रुपए बताई थी। विधानसभा चुनाव के समय घटकर 1 लाख 56 हजार 30 रुपए हो गई। ये तो वो नाम हैं जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। हालांकि हम बात चुनावी हलचलों की कर रहे हैं।
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केजरीवाल को कौन-कौन से नेता टक्कर दे रहे हैं ?
केजरीवाल के खिलाफ भाजपा ने सुनील यादव को तो कांग्रेस ने रोमेश सभरवाल को मैदान में उतारा। लेकिन सुबह-सुबह सूत्रों के हवाले से एक खबर भी चलाई गई कि भाजपा नेताओं में सुनील यादव के नाम को लेकर मतभेद पैदा हो गया। और नई दिल्ली विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवार के नाम पर पुनर्विचार किया जा रहा है। इस खबर के सामने आने के बाद सुनील यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। मुलाकात सुनील यादव की चल रही थी लेकिन दिल्ली की तमाम राजनीतिक पार्टियों की नजर थी। हालांकि मुलाकात के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सुनील यादव ही केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
लेकिन एक थो मजेदार बात यह है कि नामांकन भरने के लिए केजरीवाल को जो टोकन नंबर मिला वह 45 था। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगा दिया। आप कहती है कि भाजपा ने बिना पेपर के 35 निर्दलियों को भेज दिया ताकि केजरीवाल नामांकन न भर पाएं। अरे भईया ये तो लोकतंत्र है चुनाव लड़ने और लड़ाने में जनता की भागीदारी होती है ऐसे में अगर कोई चुनाव लड़ना चाहे तो कौन रोक सकता है, लड़ने दो...
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इस बार का चुनाव तो मजेदार होने वाला है क्योंकि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा ने अपने दमदार नेताओं को मैदान में उतारा है। आप ही देख लो 20 जनवरी की देर रात भाजपा ने तजिंदर बग्गा को हरि नगर से उम्मीदवार बनाया तो वह ट्विटर पर ट्रेंड हो गए। अगर चुनाव ट्विटर पर हो न तो सबसे ज्यादा हैशटैग वाले नेताओं में गिने जा सकते हैं बग्गा...