Ankylosing Spondylitis: लगातार रहता है पीठ और कमर में दर्द तो न करें इसे नजरअंदाज, हो सकती है यह गंभीर बीमारी

By एकता | May 06, 2022

Ankylosing Spondylitis: एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ाने के लिए हर साल मई महीने के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस दिवस मनाया जाता है। इस साल विश्व एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस दिवस सात मई को मनाया जायेगा। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस हड्डियों से जुड़ी हुई बीमारी है। यह बीमारी मुख्य रूप से रीड और कूल्हे की हड्डियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।

 

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हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस आर्थराइटिस (गठिया) का ही एक प्रकार है। इसमें रीड, कूल्हे की हड्डियों और रीढ़ की जॉइंट्स में बहुत अधिक दर्द हो होता है। इस बीमारी की वजह से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन कम हो जाता है और पीड़ित व्यक्ति न ठीक से बैठ पाता है और उसे घूमने फिरने में भी तकलीफ होने लगती है। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी पुरुषों में ज्यादा देखी जाती है और इसकी शिकायत छोटी उम्र से ही शुरू हो जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में लगभग 1.65 मिलियन लोग वर्तमान में इस बीमारीसे पीड़ित हैं।

 

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एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस होने का कारण

एचटी लाइफस्टाइल के साथ एक इंटरव्यू में नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल में रुमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ पीडी रथ ने बताया कि एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस की उत्पत्ति के पीछे कोई निश्चित कारण नहीं है, हालांकि इसे आमतौर पर जेनेटिक माना जाता है। HLA B27 नाम का एक जीन इंसान के शरीर में पाया जाता है जो पर्यावरण और जीवन शैली के पैटर्न में बदलाव होने की वजह से ट्रिगर हो जाता है और इस बीमारी का कारण बन सकता है। यह समझना भी जरुरी है कि शरीर में इस जीन के होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति एएस से पीड़ित होगा।

 

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एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण

डॉ पीडी रथ के अनुसार, एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति की पीठ में दर्द और जकड़न होने लगती है। दर्द और जकड़न सुबह और रात के समय में ज्यादा बढ़ जाती है। 45 साल की उम्र से पहले अगर आप बिना कोई फिजिकल एक्टिविटी किये या फिर आराम करने के बावजूद भी किसी भी तरह का दर्द महसूस कर रहे हैं तो यह एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस का दर्द हो सकता है। इसके अलावा गर्दन में दर्द और थकान, रीढ़ की गतिशीलता में कमी, छाती का विस्तार, वजन कम होना, बुखार, नितंब और जांघ में दर्द और कूल्हों में गठिया भी इस बिमारी के लक्षण होते है।

 

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एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज

डॉ पीडी रथ ने कहा कि मरीजों को सक्रीय रहने की सलाह दी जाती है। मरीज अपने जोड़ों और मांसपेशियों को पूरे दिन चलाते रहें क्योंकि यह सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर कोई इस तरह के दर्द से पीड़ित है, तो वह स्थिति के खराब होने से पहले रुमेटोलॉजिस्ट के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं। जीवनशैली में कुछ बढ़लाव भी एएस के साथ रहने के लिए एक स्वस्थ पैटर्न बनाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप नियमित व्यायाम करें, ओमेगा 3 से भरपूर स्वस्थ आहार, अलसी के बीज, फल और हरी सब्जियों का सेवन करें।

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