By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 30, 2021
अमरावती(आंध्र प्रदेश)। आंध्र प्रदेश सरकार प्रशासन में एहतियाती सतर्कता के जरिए भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए एक विशेष कार्य योजना पर काम कर रही है। राज्य सरकार ने इसके लिए 1964 की संथानम कमेटी की रिपोर्ट का रुख किया है और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद की 2020 की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास ने दो दिन पहले एक आदेश जारी कर सभी विभागों और अन्य सरकारी एजेंसियों को अपने अधिकार क्षेत्र वाले कार्यालयों से जुड़ी एक विशेष कार्य योजना तैयार करने को कहा है, जबकि आंध्र प्रदेश सतर्कता आयुक्त वीणा इश ने तीन पृष्ठों का पत्र वितरित कर संथानम कमेटी की 1964 की रिपोर्ट में जिक्र किये गये एहतियाती सतर्कता के महत्व का विवरण दिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, ‘‘इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार की रोकथाम करना और एक ईमानदार, पारदर्शी, दक्ष और नागरिक हितैषी प्रशासन स्थापित करना है।’’ राजस्व एवं पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग को विशेष कार्य योजना तैयार करने के लिए मॉडल विभाग के रूप में चुना गया है। हालांकि, कार्य योजना तैयार करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। सतर्कता आयुक्त के मुताबिक संथानम कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार को तब तक जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता या बहुत हद तक घटाया नहीं जा सकता, जब तक कि एहतियाती उपाय नहीं किये जाते हैं और उन्हें सतत एवं प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया जाता है।
वीणा ने केंद्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिशों का भी जिक्र करते हुए कहा कि एहतियाती सतर्कता प्रणालीगत सुधार कर और ढांचागत उपाय के जरिए जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर उनमें खामियों को दूर कर भ्रष्टाचार को होने से रोकता है। नवंबर 2019 में वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने प्रशासन में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए आईआईएम-अहमदाबाद को एक रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा था। संस्थान ने अगस्त 2020 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन राज्य सरकार ने फौरन इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया क्योंकि यह उसकी उम्मीदों से मेल नहीं खाती थी और वह भ्रष्टाचार के खिलाफ फिर से लड़ाई शुरू करने के लिए 1964 की संथानम कमेटी की रिपोर्ट का उपयोग कर रही है।