काशी के बाद आंध्र प्रदेश है धार्मिक पर्यटन का हब, इन मंदिरों का है विशेष महत्व

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By सुषमा तिवारी | Oct 18, 2018

काशी के बाद आंध्र प्रदेश है धार्मिक पर्यटन का हब, इन मंदिरों का है विशेष महत्व

आंध्र प्रदेश भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है साथ ही यह धार्मिक स्थलों से भरा राज्य भी है। यहां पर आपको हिंदू धर्म के सभी पूजनीय देवी-देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे। आंध्र प्रदेश अपने चुनिंदा मंदिरों के चलते धार्मिक पर्यटन का हब बन गया है और इस कारण भारत के दक्षिण में स्थित यह राज्य देश के अलावा विदेश से आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है।

 

कनका दुर्गा मंदिर

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी है ‘इन्द्रकीलाद्री’। इस पहाड़ी के साथ बहती है पवित्र कृष्णा नदी और इसी के तट पर बना है मां दुर्गा का कनका दुर्गा मंदिर। नवरात्रि में यहां विशेष पूजा होती है। लोगों का देवी दुर्गा के इस मंदिर में काफी विश्वास है। बड़ी मात्रा में यहां भक्तों का जमावड़ा होता है। दशहरा के दिन यहां विशाल उत्सव होता है और इस दिन तीर्थयात्री कृष्णा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं।

 

तिरुमाला तिरुपति मंदिर (तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर)

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति एक पवित्र स्थान है। इस स्थान को भगवान वेंकटेश्वर का निवास माना जाता है। तिरुपति प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। कहते हैं कि भगवान वेंकटेश्वर की यहां असीम कृपा है इसलिए ये जगह दुनिया की सबसे समृद्ध जगह है। तिरुपति में बना तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्यदेषम में से भी एक है। हर साल यहाँ ब्रह्मोत्सव का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें तक़रीबन 5,00,000 से भी ज्यादा भक्त हिस्सा लेते हैं।

 

कोदंदरमा मंदिर

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को समर्पित आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में बना कोदंदरमा मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। कडपा के वोंतीमित्ता में बने इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था। ये मंदिर हर दृष्टिकोण से काफी अनुपम है और इसका आकार काफी बड़ा है। ये श्रीराम मंदिरों में से एक है। 

 

मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर

आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के श्रीसैलम की नल्लामला पहाड़ियों पर बना है भगवान शिव को समर्पित मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर। इन विशाल पहाड़ियों को भगवान का निवास स्थान माना जाता है। कहते हैं शिव यहां हर जगह हैं। ये मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है इसलिए इस जगह का विशेष महत्व है। भगवान राम ने स्वयं यहाँ सहस्रलिंग की स्थापना की थी, जबकि पांडवों ने मंदिर के आँगन में पञ्चपांडव लिंग की स्थापना की थी।

 

श्री कालहस्तीस्वर मंदिर

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के स्वर्णमुखी नदी के तट पर बना श्री कालहस्तीस्वर मंदिर वायु का प्रतिनिधित्व करने वाले पञ्चभूत लिंगों में से एक है। इसीलिए चौथे लिंग को वायुलिंग भी कहा जाता है। भगवान शिव के बाकी चार लिंग तमिलनाडु में स्थित हैं।

 

-सुषमा तिवारी

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