लखनऊ। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या पिछले कुछ माह से काफी सुर्खियां बटोर रहा है। बीजेपी के हिन्दुत्व कह प्रयोगशाला समझे जाने वाली अयोध्या में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी,जिससे बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी। बीजेपी को यह हार तब झेलनी पड़ी थी जबकि इससे कुछ माह पूर्व 500 वर्षो के लम्बे इंतजार के बाद यहां प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। यहां से सपा के अवधेश प्रसाद चुनाव जीते थे तो पहले मिल्कीपुर के विधायक थे। मिल्कीपुर में उपचुनाव का रास्ता साफ होने के बाद एक बार फिर से राजनीतिक हलचल बढ़ने की उम्मीद है। चुनाव टलने के बाद राजनीतिक दलों की दौड़ भाग कम हो गई थी। 23 नवंबर को उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव के आए नतीजों से लबरेज भारतीय जनता पार्टी मिल्कीपुर में कमल खिलाकर फैजाबाद सीट हारने का धब्बा मिटाना चाहती है। आम चुनाव में भाजपा से यह सीट छीनकर अपनी झोली में डालने वाली समाजवादी पार्टी भी इसे कतई गंवाना नहीं चाहती। इसके लिए वह पूरा दमखम लगाने के लिए तैयार है। अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा व एक अन्य की याचिका वापस होने के बाद मिल्कीपुर में चुनाव के रास्ते खुल गए हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर 15 अक्तूबर के पहले भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के प्रदेश एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने विधानसभा क्षेत्र में जगह-जगह चौपाल लगाकर प्रचार-प्रसार शुरू किया था। मिल्कीपुर के उपचुनाव की घोषणा टलने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी भी फीकी पड़ गई थी। अब जब रास्ता साफ हो गया है तो एक बार फिर से राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, पदाधिकारी क्षेत्र में सक्रिय होंगे। अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा ने सपा को बड़े अंतर से हराकर मिल्कीपुर में भी भाजपा के लिए आशा की नई किरण पैदा कर दी है। बहुजन समाज पार्टी ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए पहले ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। कटेहरी में समाजवादी पार्टी ने सांसद लाल जी वर्मा की पत्नी को विधानसभा का प्रत्याशी बनाया था। जिससे सपा पर विपक्षी दलों ने परिवारवाद का भी आरोप लगाया। मिल्कीपुर में भी सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है। ऐसे में मिल्कीपुर में भी सपा को परिवारवाद का आरोप झेलना पड़ सकता है।