By Ananya Mishra | Feb 26, 2024
भारत में पहले के मुकाबले शिक्षा के स्तर में काफी सुधार आया है। खासकर महिलाएं आज के समय में हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व बना रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 18वीं सदी में एक महिला ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर भारत की महिला डॉक्टर ने इतिहास रचा था। आज हम इस आर्टिकल के जरिए उस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी शिक्षा को जारी रखा। सिर्फ इतना ही नहीं वह पढ़ाई के लिए विदेश भी गईं और इस तरह से वह भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। इस महान महिला को आनंदीबाई जोशी के नाम से जानते हैं। भारत की पहली महिला डॉक्टर बनने का इतिहास...
जन्म
ब्राह्मण परिवार में जन्मी आनंदी गोपाल जोशी का जन्म 31 मार्च सन् 1865 में पुणे शहर में हुआ था। जिस वक्त बच्चों के खेलने और पढ़ने की उम्र होती है। उस उम्र में उनकी शादी हो गई। 9 साल की आनंदीबाई की शादी 25 साल के गोपालराव जोशी से हुई। वहीं 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। लेकिन 10 दिन के अंदर नवजात बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत ने आनंदीबाई को जीवन का एक लक्ष्य दिया और उन्होंने डॉक्टर बनने की ठान ली। उनकी इस शिक्षा को पूरा करने में आनंदीबाई के पति गोपालराव ने भी पूरा साथ दिया।
अमेरिका से ली डिग्री
पढ़ाई पूरी करने लिए आनंदीबाई को तमाम आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बाद भी वह अपने लक्ष्य को लेकर एकदम फोकस रही। गोपलराव ने पत्नी की शिक्षा के लिए मिशनरी स्कूल में दाखिला करवा दिया। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता चली गईं। कलकत्ता में उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी बोलना सीखा। आनंदीबेन के पति ने उन्हें आगे मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। साल 1880 में गोपालराव ने प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी, रॉयल वाइल्डर को एक पत्र भेजकर संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सा की शिक्षा की जानकारी मांगी। वहां से जानकारी मिलने के बाद आनंदीबाई अमेरिका चली गईं और पेंसिल्वेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा कार्यक्रम में दाखिला ले लिया। साल 1886 में 19 साल की उम्र में वह भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। एमडी की डिग्री मिलने के बाद वह भारत वापस आ गईं।
नौकरी और मौत
भारत आने के बाद आनंदीबाई का यहां पर भव्य तरीके से स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें कोल्हापुर रियासत के अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल के महिला वार्ड में प्रभारी चिकित्सक के पद पर नियुक्ति मिली। लेकिन भारत की पहली महिला डॉक्टर बनने का कीर्तिमान रचने वाली आनंदीबाई पटेल की किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इससे पहले की वह अपनी प्रैक्टिस पूरी करती इससे पहले उन्हें टीबी की बीमारी हो गई। जिसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता चला गया। बीमारी बढ़ने के बाद महज 22 साल की उम्र में 26 फरवरी 1887 को उनका निधन हो गया।
सम्मान
आपको बता दें कि शुक्र ग्रह पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे पाए गए हैं। भारत की तीन प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर इस ग्रह से तीन गड्ढों के नाम रखे गए हैं। जोशी क्रेटर शुक्र ग्रह पर एक गड्ढा है। इस गड्ढे का नाम आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया है। वहीं लखनऊ में स्थित गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज है। यह भारत में चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए और आनंदीबाई जोशी को सम्मान देने के लिए उनके नाम का पुरुस्कार प्रदान कर रहा है। इसके अलावा आनंदी बाई के जीवन पर 1888 में कैरोलिन वेलस में बॉयोग्राफी भी लिखी थी। वहीं इसी बॉयोग्राफी पर आधारित एक सीरियल भी बनाया गया था।