By नीरज कुमार दुबे | Mar 29, 2025
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के राजनीतिक हालात, जज के घर कथित रूप से जली हुई नकदी मामले, वक्फ विधेयक, वर्तमान के राजनीतिक मुद्दों, मोदी सरकार की आगामी योजनाओं तथा बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों जैसे अहम मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए विपक्ष पर तगड़ा निशाना भी साधा है। साथ ही उन्होंने विश्वास जताया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने लगातार अच्छे प्रदर्शन के कारण कम से कम 30 साल तक केंद्र में सत्ता में बनी रहेगी। अमित शाह ने कहा है कि लोकतंत्र में किसी भी पार्टी की जीत उसकी कड़ी मेहनत पर निर्भर करती है तथा यदि वह दिन-रात मेहनत करती है और ‘‘यदि आप अपने लिए नहीं बल्कि देश के लिए जीते हैं, तो जीत आपकी होगी।’’ हम आपको बता दें कि उन्होंने ‘टाइम्स नाउ समिट 2025’ में कहा, ‘‘जब मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष था तो मैंने कहा था कि भाजपा अगले 30 साल तक सत्ता में रहेगी। अभी तो केवल 10 साल ही बीते हैं।’’ वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि जब कोई पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसे जनता का भरोसा और जीतने का विश्वास मिलता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जो अच्छा प्रदर्शन नहीं करते, उनमें यह भरोसा नहीं होता।’’
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा शासित सभी राज्यों में यूसीसी को एक-एक करके लागू किया जाएगा क्योंकि यह भाजपा के गठन के बाद से ही उसके प्रमुख एजेंडे में से एक रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा का संकल्प देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह होगा। यह (समान नागरिक संहिता लागू करना) संविधान सभा का निर्णय था। कांग्रेस शायद इसे भूल गई हो लेकिन हम नहीं भूले। हमने कहा था कि हम अनुच्छेद 370 को हटाएंगे। हमने ऐसा किया है। हमने कहा था कि हम अयोध्या में राम मंदिर बनाएंगे। हमने वह भी किया है। अब समान नागरिक संहिता बाकी है। हम वह भी करेंगे।’’ शाह ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पहले ही कानून बना दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘एक-एक करके सभी भाजपा शासित राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी। गुजरात ने इसके लिए पहले ही एक समिति गठित कर दी है। यह एक सतत प्रक्रिया है। सभी राज्य अपनी सुविधा के अनुसार इसे लागू करेंगे।’’
जज के घर नकदी मामला
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले का संज्ञान लिया है और (उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की एक समिति के माध्यम से) जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इसमें सहयोग कर रहे हैं। हमें प्रधान न्यायाधीश द्वारा गठित समिति के नतीजों का इंतजार करना चाहिए।’’ हम आपको याद दिला दें कि उच्चतम न्यायालय ने उस जनहित याचिका को ‘‘असामयिक’’ बताते हुए खारिज कर दिया था जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था। शाह ने कहा, ‘‘...प्राथमिकी भारत के प्रधान न्यायाधीश की अनुमति से ही दर्ज की जा सकती है।’’
आरएसएस पर स्पष्टीकरण
यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करता है, गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा का वैचारिक स्रोत संघ कोई हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस पिछले 100 वर्ष से देशभक्तों को तैयार कर रहा है। मैंने आरएसएस से सीखा है कि कैसे कई आयामों को एक साथ रखते हुए देशभक्ति को केंद्र में रखा जाए। हस्तक्षेप का कोई सवाल ही नहीं है।’’
आंतरिक सुरक्षा
आंतरिक सुरक्षा की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर उन्हें विरासत में तीन समस्याएं मिलीं: नक्सली हिंसा, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 साल में इन तीनों क्षेत्रों में 16,000 युवाओं ने आत्मसमर्पण किया है। देश के गृह मंत्री के तौर पर इन सभी स्थानों पर शांति लाना मेरा कर्तव्य है। यह प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है और स्वाभाविक रूप से यह मेरी भी प्राथमिकता है। इन समस्याओं के कारण इन जगहों पर विकास रुक गया था।’’
उपासना स्थल अधिनियम
उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 पर सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि उच्चतम न्यायालय इस पर उचित आदेश देगा। हम न्यायालय के आदेश का निश्चित रूप से पालन करेंगे।’’ हम आपको बता दें कि यह अधिनियम किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है। इस कानून में किसी स्थान के धार्मिक स्वरूप को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे से संबंधित विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। इस समय उच्चतम न्यायालय इस अधिनियम को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर विचार कर रहा है। यह पूछे जाने पर कि सरकार ने इस विषय पर अभी तक न्यायालय में हलफनामा क्यों दाखिल नहीं किया है, शाह ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से हलफनामा दाखिल करेंगे।''
बंगाल के हालात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साथ ही पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर अवैध प्रवासियों को पार्टी के 'वोट बैंक' के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार इस तरह के कदम को सफल नहीं होने देगी। पश्चिम बंगाल सरकार के भाजपा नीत केंद्र के साथ टकराव के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि कोई टकराव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, "वे अवैध प्रवासियों को अपने 'वोट बैंक' के रूप में देखते हैं। वे अवैध प्रवासियों को अपना मतदाता बनाना चाहते हैं। लेकिन हम किसी भी पार्टी को अवैध प्रवासियों को 'वोट बैंक' के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकते।"
राहुल गांधी पर निशाना
उन्होंने साथ ही संसद की कार्यप्रणाली की आलोचना करने के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकसभा में बोलने के लिए आवंटित समय पर विपक्ष के नेता वियतनाम में थे। शाह ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित ठेकों में चार प्रतिशत आरक्षण को मुसलमानों के लिए ‘‘लॉलीपॉप’’ बताया। शाह ने कहा कि धर्म के आधार पर कोई भी आरक्षण संविधान का उल्लंघन है और अदालतें इसे खारिज कर देंगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार के आरक्षण का पुरजोर विरोध करते हैं।’’ संसद के कामकाज की गांधी द्वारा की गई आलोचना पर गृह मंत्री ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता शायद यह नहीं जानते कि सदन में बोलने के नियम हैं, जिन्हें मनमर्जी से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘बजट पर चर्चा में उन्हें (गांधी को) 42 प्रतिशत समय दिया गया। अब यह उन पर निर्भर है कि वे तय करें कि कौन बोलेगा।’’ शाह ने कहा, ‘‘लेकिन जब संसद में गंभीर चर्चा हो रही थी, तब वह वियतनाम में थे और जब वह वापस लौटे, तो उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार बोलने पर जोर देना शुरू कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि संसद नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार चलती है, न कि कांग्रेस पार्टी की तरह, जिसे एक परिवार चलाता है और ‘‘जहां आप जब चाहें बोल सकते हैं’’। देश में आपातकाल जैसे हालात होने संबंधी कांग्रेस के आरोप के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि विपक्षी पार्टी सरकार की आलोचना करती रहती है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपातकाल होता तो वे (कांग्रेस नेता) जेल में होते।’’ कांग्रेस की जाति आधारित गणना की मांग पर गृह मंत्री ने कहा कि विपक्षी पार्टी ने अतीत में खुद इस तरह की कवायद का विरोध किया था।
द्रमुक पर हमला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साथ ही कहा कि कभी बेहद प्रगतिशील राज्य रहा तमिलनाडु द्रमुक सरकार की नीतियों के कारण अराजकता का शिकार हो गया है और लोग इससे बेहद परेशान हैं तथा अगले विधानसभा चुनाव में इसे उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हैं। उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) को "तमिल विरोधी" भी करार दिया क्योंकि तमिलनाडु सरकार ने अभी तक तमिल भाषा में चिकित्सा और इंजीनियरिंग की शिक्षा शुरू नहीं की है और किताबों का तमिल में अनुवाद भी नहीं किया है। शाह ने विश्वास जताया कि 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में द्रमुक सरकार केवल भ्रष्टाचार में लिप्त है, जिसके कारण उद्योग और युवा राज्य से पलायन कर रहे हैं। शाह ने कहा, “कभी दक्षिण भारत का सबसे प्रगतिशील राज्य माना जाने वाला तमिलनाडु द्रमुक सरकार की नीतियों के कारण अराजकता का शिकार हो गया है, जिससे जनता बेहद परेशान है। आने वाले चुनाव में तमिलनाडु में राजग की सरकार बनेगी।” गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि तमिलनाडु की जनता द्रमुक को सत्ता से उखाड़ फेंकेगी। लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अगले परिसीमन कवायद को लेकर द्रमुक के विरोध के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टी ने अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा, "क्या (केंद्र) सरकार ने परिसीमन पर कुछ कहा? उन्होंने इसे अब क्यों उठाया है? चुनाव के कारण उठाया है। पांच साल तक वे भ्रष्टाचार में लिप्त रहे और अब अचानक उनकी नींद खुल गई है।” उन्होंने कहा, “मैं आपको बता दूं कि परिसीमन में किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।''
बिहार के बारे में विश्वास
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साथ ही दावा किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बिहार में फिर से बड़े जनादेश के साथ सरकार बनायेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा, जनता दल (यूनाइटेड) और कुछ अन्य दलों वाला गठबंधन मिलकर काम कर रहा है और हाल के दिनों में गठबंधन की कई बैठकें हुई हैं। शाह ने कहा, ‘‘बिहार में राजग गठबंधन बहुत मजबूत है।’’ उन्होंने कहा, "मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) और नीतीश कुमार जी की सरकार ने बिहार के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। बिहार में पहले से भी बड़े जनादेश के साथ राजग की सरकार बनेगी।" हम आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर में होने की उम्मीद है।
वक्फ विधेयक पर राय
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में फिर से पेश किया जाएगा। इस विधेयक को अगस्त 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। मौजूदा बजट सत्र के चार अप्रैल को समाप्त होने में केवल चार कार्य दिवस शेष रह गये हैं। शाह ने ‘टाइम्स नाउ समिट 2025’ में कहा, ‘‘हम इसी सत्र में संसद में वक्फ विधेयक पेश करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून से किसी को डरना नहीं चाहिए क्योंकि नरेन्द्र मोदी सरकार संविधान के दायरे में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष मुसलमानों को गुमराह कर रहा है। मुसलमानों के किसी भी अधिकार पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा। वे सिर्फ झूठ पर झूठ बोल रहे हैं।’’ गृह मंत्री ने कहा कि सरकार को मौजूदा कानून में संशोधन विधेयक लाना पड़ा क्योंकि मूल कानून तुष्टीकरण की राजनीति के कारण बनाया गया था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने वक्फ अधिनियम में ऐसे नियम बनाए जो संविधान की भावना के अनुरूप नहीं थे। उन्होंने कहा, "हमने वक्फ विधेयक को संविधान के दायरे में रखा है, जबकि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था।’’ शाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने दिल्ली में 123 प्रमुख स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित किया है और प्रयागराज में ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा बनाए गए मौजूदा कानून के अनुसार इन फैसलों को अदालतों में चुनौती भी नहीं दी जा सकती। विधेयक के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन पर गृह मंत्री ने कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है और किसी भी विवाद को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा, "वे विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि विधेयक संविधान के दायरे में नहीं है, तो इसे अदालतों में चुनौती दी जा सकती है।"