By अंकित सिंह | Aug 07, 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया है। संसद के मानसून सत्र का अंतिम सप्ताह हंगामेदार रहने वाला है क्योंकि लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने की संभावना है। इसके साथ, सभी की निगाहें राज्यसभा पर है जिसमें सोमवार (7 अगस्त) को दिल्ली सेवा विधेयक पर जोरदार बहस की उम्मीद है। बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के अभिषेक मनू सिंघवी ने कहा कि अफसरों की नियुक्ति प्रक्रिया मंत्रालय का नियंत्रण हो जाएगा। नीतियां बनाने का काम सीएम का अधिकार क्षेत्र है।
इसके साथ में बिल का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। दिल्ली सेवा बिल संविधान के खिलाफ है। दिल्ली में भय का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली में सीएम सुपर बनने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का दृष्टिकोण किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है। यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है। दिल्ली सरकार में नौकरशाहों के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक गुरुवार को नवगठित विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) के बहिर्गमन के बीच लोकसबा से ध्वनि मत से पारित हो गया।
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि बिल को रोकने के लिए राज्यसभा में हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने अपने बयान में कहा कि AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा, 'AAP और I.N.D.I.A ब्लॉक दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हम इस बिल को विधायी प्रक्रिया के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया के जरिए भी रोकेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के 2 करोड़ लोगों को गुलाम बनाने वाला बिल है, यह 2 करोड़ लोगों के मतदान के अधिकार को खत्म कर देता है।