शिवसेना के आरोपों का शाह ने दिया जवाब, बोले- यदि बहुमत है तो सरकार बना सकते हैं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 14, 2019

नयी दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष एव गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के निर्णय पर विपक्ष द्वारा कोरी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि वह महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते और दो दिन का समय मांगने वाली पार्टियों के पास अब छः महीने का वक्त है। शाह ने जोर दिया कि अगर यदि विपक्ष के पास बहुमत है तो आज भी राज्यपाल के पास जाकर सरकार बना सकते हैं।

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भाजपा अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा कि राज्यपाल ने (चुनाव नतीजे के) नोटिफेकेशन के बाद सभी पार्टियों को 18 दिन का समय दिया था। महाराष्ट्र में सभी पार्टियों को पूरा समय दिया गया। आज भी अगर किसी के पास संख्या है तो वो इकठ्ठा होकर राज्यपाल के पास जा सकते हैं। राष्ट्रपति शासन की विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि दो दिन का समय मांगने वाली पार्टियों के पास अब छः महीने का वक्त है और राज्यपाल ने ऐसा कर उचित ही कार्य किया है क्योंकि आज भी सभी लोग सरकार बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के लगने से यदि किसी पार्टी को नुकसान हुआ है तो वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है क्योंकि हमारी केयरटेकर सरकार चली गई। विपक्ष का तो कोई नुकसान नहीं हुआ। वे तो आज भी सरकार बना सकते हैं यदि उनके पास बहुमत हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता। यदि आने वाले समय में सरकार गठन पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है तो छः महीने के समाप्त होने पर राज्यपाल कानूनी सलाह लेकर उचित निर्णय करेंगे।’’ भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगने से नुकसान भाजपा का हुआ है, विपक्ष का नहीं। हम शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थे, लेकिन उनकी कुछ शर्तें ऐसी थीं जिन्हें हम मान नहीं सकते हैं।

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शिवसेना पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कम से कम 100 बार और प्रधानमंत्री ने भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट कहा कि यदि हमारी महायुति की सरकार दोबारा चुन कर सत्ता में आती है तो देवेन्द्र फड़णवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे, तब इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र और इसकी स्वस्थ परंपरा में यकीन रखने वाली पार्टी है. हमने किसी भी तरह जनादेश का अपमान नहीं किया. हम महाराष्ट्र में गठबंधन में चुनाव लड़े थे, हमें जनता का स्पष्ट जनादेश भी मिला लेकिन आज अगर गठबंधन के हमारे साथी ऐसी शर्तें रख दे जो हमें स्वीकार नहीं है तो हम क्या करें।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन पर जो हाय तौबा मची है, वो जनता की सहानुभूति प्राप्त करने का निरर्थक प्रयास है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर विपक्ष की प्रतिक्रियाएं एक कोरी राजनीति हैं, इसके अलावा कुछ नहीं है। राज्यपाल महोदय ने किसी प्रकार से भी संविधान का उल्लंघन नहीं किया है। राज्यपाल के कदम की विपक्ष द्वारा आलोचना पर शाह ने कहा कि विपक्ष द्वारा एक संवैधानिक पद को राजनीति में घसीटना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। शाह ने कहा कि हम गठबंधन में चुनाव लड़े थे और हम सबसे बड़ी पार्टी थे, लेकिन साथी दल ने ऐसी शर्त रखी जो हमें स्वीकार नहीं थी।

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उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी का यह संस्कार नहीं है कि कमरे में हुई बात को सार्वजनिक करूं, सार्वजनिक जीवन की एक गरिमा होती है। गौरतलब हे कि महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया है। भाजपा और शिवसेना ने विधानसभा चुनाव साथ साथ लड़ा था और गठबंधन को बहुमत प्राप्त हुआ था लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर दोनों दल सरकार नहीं बना सके। शिवेसना ने जोर दिया था कि दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री सहित सत्ता के 50:50 अनुपात में बंटवारे करना तय हुआ था।

भाजपा ने हालांकि ऐसा कोई फार्मूला तय होने से इंकार किया था। इसके बाद पार्टी ने रविवार को स्पष्ट किया था कि उसके पास सरकार बनाने लायक संख्या नहीं है। शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और 'तीनों दलों के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती।

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महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

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