By Ankit Singh | May 13, 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने कर्नाटक में जबरदस्त बहुमत हासिल की है। दक्षिण में भाजपा के लिए यह बड़ा झटका है। हालांकि, इस हार के बीच भाजपा को खुश होने का मौका मिला है। दरअसल, चुनाव से पहले पार्टी से बगावत करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट से हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी के उम्मीदवार महेश तेंगिंकाई ने जगदीश शेट्टार को 34289 वोटों से हराया है। यहां भाजपा ने जबरदस्त प्रचार किया था। खुद पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा भी लगातार लोगों से अपील कर रहे थे कि जगदीश शेट्टार के पक्ष में मतदान नहीं करना है। दूसरी ओर जगदीश शेट्टार भाजपा छोड़ने के वक्त दावा किया था कि उन्हें अपमानित किया गया।
शेट्टार आरएसएस और जनसंघ के जमाने से ही बीजेपी में रहे हैं। उनके पिता शिवप्पा शेट्टार भी जनसंघ के साथ थे और जब 1990 के दशक में हुबली में ईदगाह मैदान में बवाल हुआ तो शेट्टार इसका हिस्सा थे। हुबली का ईदगाह मैदान 1991 की रथ यात्रा के बाद से ही ये सियासी जोरआजमाइश का मैदान बना रहा है। 1992 में जब मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। उसी वक्त ईदगाह मैदान पर भी ऐसा ही कार्यक्रम रखा गया था। जिसका आयोजन संघ परिवार की तरफ से किया गया था।
ईदगाह मैदान का मुद्दा सूबे में बीजेपी के उदय की एक बड़ी वजहों में से एक माना जाता है। बीजेपी दक्षिण के दूसरे राज्यों में दूर-दूर तक नहीं नजर आ रही थी तो वहीं कर्नाटक में वो कई बार सत्ता पर काबिज हो चुकी है। साल 1994 में जगदीश शेट्टार हुबली ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े और पहली बार विधानसभा पहुंचे। उन्होंने उस चुनाव में जिस उम्मीदवार को हराया था वो और कोई नहीं बल्कि कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई थे। बोम्मई तब जनता दल के उम्मीदवार थे।