By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 01, 2022
ताइपे| अमेरिकी सीनेटर टैमी डकवर्थ ने एक साल में दूसरी बार मंगलवार को ताइवान का दौरा कर उसके लिए अमेरिका के समर्थन को दोहराया। स्वशासन वाले इस द्वीप पर चीन अपना दावा करता है।
डकवर्थ ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात की और ताइपे तथा वाशिंगटन के बीच घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों पर जोर दिया। चीन ने नियमित उड़ानों के चल रहे अभियान के तहत सोमवार को 30 सैन्य विमान द्वीप की ओर भेजे।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने जेट विमानों को रवाना कर जवाब दिया तथा इस दौरान वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को अलर्ट पर रखा और रेडियो चेतावनी जारी की गई। डकवर्थ ने कहा कि वह “ताइवान की सुरक्षा के लिए हमारे (अमेरिकी) समर्थन पर जोर देना चाहती हैं”।
सेना की पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट और नेशनल गार्ड में लेफ्टिनेंट कर्नल रहीं डकवर्थ ने उस विधेयक के लिए मजबूत द्विदलीय समर्थन का हवाला दिया, जिसे उन्होंने ताइवान के सशस्त्र बलों और नेशनल गार्ड के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पेश किया है। डेमोक्रेट नेता डकबर्थ ने साई से कहा, “मैं कहना चाहतीं हूं कि यह सैन्य सहयोग से कहीं ज्यादा है। यह अर्थव्यवस्था के बारे में भी है।”
साई ने अमेरिकी सरकार और कांग्रेस को “ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को महत्व देने के लिए” और साथ ही डकवर्थ को “ताइवान से संबंधित सुरक्षा मुद्दों पर कड़ी नजर रखने” के लिए धन्यवाद दिया। चीन ने कहा कि वह डकवर्थ के दौरे की कड़ी निंदा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा, “ताइवान चीन का एक प्रांत है और वहां कोई तथाकथित राष्ट्रपति नहीं है।” उन्होंने अमेरिका से अनुरोध किया कि वह ताइवान से सभी आधिकारिक संपर्क तोड़ ले।
उन्होंने कहा, “अमेरिकी सरकार ने हाल ही में ताइवान मुद्दे पर कई गलत संकेत भेजे हैं... अमेरिकी सरकार को राष्ट्रपति बाइडन की टिप्पणी को व्यवहार में लाना चाहिए कि अमेरिका चीन के साथ एक नया शीत युद्ध नहीं चाहता है, चीन की व्यवस्था को बदलने का लक्ष्य नहीं है... और ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है।”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान कहा था कि अगर चीन ताइवान पर आक्रमण करता है तो अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा।