By अभिनय आकाश | Sep 17, 2024
सुरक्षा परिषद के वर्तमान स्थायी सदस्य यानी पी-5 अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम विश्व के पुराने शक्ति संतुलन को दिखाते हैं। इसमें 1995 के बाद के परिदृश्य की झलक नजर आती है। लेकिन 21वीं सदी में जब भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी जैसे देशों का उदय हो चुका है तो ये जरूरी हो जाता है कि सुरक्षा परिषद का ढांचा इस नए विश्व समीकरण का प्रतिनिधित्व करे। इसी कड़ी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अब अमेरिका ने तगड़ा ऐलान कर दिया है कि उसका समर्थन भारत को है। भारत को वीटो पावर मिलना चाहिए।
अमेरिका ने हाल ही में सुरक्षा परिषद में सुधार के संबंध में नए प्रस्ताव पेश किए हैंय़ अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि अमेरिका ने हमेशा से भारत, जापान, ब्राजील और जर्मनी जैसे देशों का समर्थन किया है। इसे जी-4 के नाम से जाना जाता है। ये समूह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार का समर्थन करता है। इन चार देशों को परमानेंट यानी स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का अमेरिका हमेशा से पक्षधर रहा है। विशेष रूप से भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है। सुरक्षा परिषद में उसकी भागीदारी पूरी तरह से आवश्यक है। अमेरिका की तरफ से कहा गया कि भारत को सदस्यता देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं बनता।
ये बयान अपने आप में एक बड़ा कूटनीतिक समर्थन है। अमेरिका जैसा देश अगर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत को सम्मलित करने की बात करता है तो इससे वैश्विक मंच पर भारत की साख और मजबूती का पता चलता है। ये भारत की वैश्विक भूमिका को न केवल मान्यता देता है। बल्कि इसे अधिक मजबूत बनाता है। भारत के पास परमाणु क्षमता होने के बावजूद उसने कभी भी आक्रमक रूख नहीं अपनाया। अपने पड़ोसी के साथ शांति स्थापित करने की तमाम कोशिश की।