आज दुनियाभर में भारत के हथियार जमकर खरीदे जा रहे हैं। हाल फिलहाल में आई जानकारी ने को पूरी दुनिया के होश उड़ा दिए हैं। खबर आई कि अमेरिका, फ्रांस और अर्मेनिया भारत के हथियार खरीदने वालों में सबसे आगे है। इसके साथ ही ये भी साफ हो गया कि कैसे दुनिया बढ़चढ़कर भारत के हथियारों को खरीद रही है। लेकिन अमेरिका की एक चालबाजी ने फिर अमेरिका के इरादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत जब आत्मनिर्भर भारत के लिए जमकर हथियार बनाने की तैयारियों में जुटा है। अमेरिका के साथ अपनी सहयोग वाली साझेदारी को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है। तब अमेरिका के एक हरकत ने पूरी तरह से इस साझेदारी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। अमेरिका पिछले दो सालों से तेसज लड़ाकू विमान की इंजन की डिलीवरी को लेकर भारत को धोखा देता आ रहा है।
यही कारण है कि भारत की सैन्य तैयारियों पर अब इसका असर पड़ रहा है। भारत जमकर तेजस बनाना चाहता है। अपने देश की सेनाओं को इन्हें सौंपना चाहता है। वो देश जो इन विमान को खरीदना चाहते हैं। उन्हें तेजस उपलब्ध कराने के लिए भी भारत पूरी तरह तैयार है। लेकिन ये तब तक संभव नहीं जब तक अमेरिका की तरफ से इंजन को लेकर सहयोग न मिले। भारतीय वायुसेना को अपने नए तेजस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत है। लेकिन इस अमेरिकी कंपनी ने पिछले दो सालों से भारत को तेजस इंजन की आपूर्ति नहीं की। यानी इस कंपनी की तरफ से भारत को अब तक तेजस के इंजन नहीं दिए गए हैं। यही कारण है कि भारतीय वायु सेना को देरी का सामना करना पड़ रहा है।
तेजस के प्रोडक्शन को लेकर देरी हो रही है। अब परेशान होकर भारत सरकार ने जनरल इलेक्ट्रिक पर जुर्माना लगा दिया है। जनरल इलेक्ट्रिक तेजस एमकेटूए के इंजन एफ 404 आईएन20 का निर्माण करता है। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को बड़े पैमाने पर तेजस लड़ाकू विमान का आर्डर दिया था। इसकी डिलीवरी 2024 में शुरू होनी थी। लेकिन अब ये अटक गई है। जनरल इलेक्ट्रिक की तरफ से अभी तक एलएएल को वो इंजन नहीं दिए गए हैं जो तेजस में लगाए जाएंगे। बता दें भारत फाइटर जेट्स के इंजन का निर्माण खुद नहीं करता है। बल्कि इसके लिए वो अमेरिका से इंजनों को खरीद रहा था। इसे लेकर दोनों के बीच डील हुई। लेकिन अब तक यानी दो साल से इसकी डिलीवरी नहीं हुई।