By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 11, 2020
न्यूयॉर्क। अमेजॉन ने चेहरा पहचानने वाली अपनी तकनीक के पुलिस द्वारा इस्तेमाल पर एक साल तक के लिये प्रतिबंध लगा दिया है। गहरे रंग वाले लोगों को पहचानने में गलती करने के कारण आलोचनाओं का शिकार हो रही इस तकनीक के कानून-प्रवर्तकों द्वारा इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाली कंपनियों की सूची में अमेजॉन भी शामिल हो गई है। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि उसने अभी यह कदम क्यों उठाया। अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हुए प्रदर्शनों ने अमेरिका में नस्ली अन्याय की ओर ध्यान खींचा है। इससे लोगों की पहचान के लिए पुलिस द्वारा तकनीक के इस्तेमाल की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कानून प्रवर्तन एजेंसियां संदिग्धों का पता लगाने के लिए चेहरा पहचानने वाली तकनीक का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। कई अमेरिकी शहरों ने पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। बाईबीएम ने भी मंगलवार को कहा था कि वह चेहरे का पता लगाने वाली तकनीक के कारोबार से हाथ पीछे खींच रही है।
नागरिक अधिकार समूहों और अमेजॉन के कर्मियों ने कंपनी पर दबाव बनाया था कि वह ‘रेकॉग्निशन’ नामक अपनी तकनीक सरकारी एजेंसियों को बेचना बंद करे। उनका तर्क है कि यह लोगों की निजता का उल्लंघन करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने में इस्तेमाल की जा सकती है। अमेजॉन ने बुधवार को एक ब्लॉग पर लिखी पोस्ट में उम्मीद जताई कि अमेरिकी संसद चेहरा पहचानने के लिए कड़े नियमों बनाएगी। गौरतलब है कि फ्लॉयड की 25 मई को मिनियापोलिस में पुलिस हिरासत में मौत के बाद नस्ली भेदभाव के विरोध में अमेरिका समेत कई अन्य देशों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हथकड़ी लगे काले व्यक्ति फ्लॉयड की गर्दन को श्वेत पुलिस अधिकारी द्वारा घुटने से दबाए जाने का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में दिख रहा है कि अधिकारी कम से कम आठ मिनट तक अपने घुटने से 46 वर्षीय फ्लॉयड की गर्दन दबाए रखता है। इस दौरान फ्लॉयड सांस रुकने की बात कहता नजर आता है।