काशी। उत्तर प्रदेश के बनारस में जापान की मदद से पहले ही रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर तैयार किया जा रहा है जो लगभग बन चुका है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना बनारस में पूर्वांचल की सबसे ऊंची इमारत तैयार करने का है। इस इमारत को वाराणसी कमिश्नरी परिसर में तैयार किया जाएगा। स्काईवॉक को लेकर प्रस्तावित परियोजना के अंतर्गत 18 मंजिला इमारत पहली बार पूर्वांचल में बनाई जाएगी।
आध्यात्मिक नगरी काशी का अद्भुत नजारा अब आसमान में खड़े होकर आप देख सकेंगे। बनारस में यूपी का पहला स्काई वॉक बनाने की तैयारी चल रही है। यह बाबा भोलेनाथ के वाद्ययंत्र डमरु की शक्ल में तैयार किया जाएगा। कमिश्नरी सभागार में प्रस्तावित भूतल सहित 18 मंजिला दो इमारतों की छत के बीच स्काई वॉक बनाया जाएगा शीशे की इस जमीन पर 25 लोग एक बार में खड़े होकर बनारस की अद्भुत छटा को निहार सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2014 में वाराणसी से सांसद चुने गए, तो उसके बाद से उन्होंने बनारस की छवि को बदलने के लिए कई प्रयास शुरू किए। इंटरनेशनल लेवल पर अपने दौरे के दौरान उन्होंने वहां की कई तकनीक और खूबसूरत इमारतों को बनारस में तैयार करने पर जोर दिया और कई प्रोजेक्ट शुरू भी हो गए। देखते ही देखते बनारस की छवि बदलने का यह प्रयास अब और तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। दरअसल, काशी में जापान की मदद से पहले ही रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर तैयार किया जा रहा है जो लगभग बन चुका है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना बनारस में पूर्वांचल की सबसे ऊंची इमारत तैयार करने का है। इस इमारत को वाराणसी कमिश्नरी परिसर में तैयार किया जाएगा।
स्काईवॉक को लेकर प्रस्तावित परियोजना के अंतर्गत 18 मंजिला इमारत पहली बार पूर्वांचल में बनाई जाएगी। शीशे के ट्रांसपेरेंट और बिल्कुल नई तकनीक के साथ यह स्काईवॉक चाइना और जापान की तर्ज पर बनारस में तैयार किए जाने की प्लानिंग की जा रहीहै इमारतेंफिलहाल इस प्रोजेक्ट का नक्शा तैयार हो चुका है जिसे शासन को भेजना है। नक्शे में डमरु के आकार की दो 18 मंजिला इमारतों के बीच 100 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ा स्काईवॉक तैयार किए जाने की योजना बनाई गई है. यह स्काईवॉक मजबूत शीशे का और ट्रांसपेरेंट होगा, जिसमें एक बार में 25 से ज्यादा लोग खड़े हो सकेंगे और जमीन के नीचे उनको पूरा बनारस दिखाई देगा।
बनारस कि सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशों की तर्ज पर बनने वाले इस स्काई वॉक को बनारस में देखने के बाद, यहां आने वाले पर्यटकों के लिए यह बिल्कुल नया एक्सपीरियंस होगा। उत्तर प्रदेश में अब तक इस तरह की कोई इमारत फिलहाल नहीं है, लेकिन यह पहली बार होने जा रहा है, जब पीपीपी मॉडल के तहत इस पूरी इमारत को तैयार करने की प्लानिंग की गई है। इन दो इमारतों में से एक इमारत में कमिश्नर ऑफिस के साथ वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी का कार्यालय और अन्य कई सरकारी विभागों की दफ्तर होंगे जबकि दूसरी बिल्डिंग का इस्तेमाल कमर्शियल तरीके से अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाएगा. फिलहाल यह प्रोजेक्ट प्रारंभिक स्टेज में है और इसे आगे बढ़ाने के लिए डीपीआर को शासन से अनुमति मिलना अनिवार्य है। डीपीआर को अनुमति मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी कर इस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।