By अनुराग गुप्ता | Jun 02, 2022
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि प्रदेश में जाति आधारित गणना की जाएगी, सर्वदलीय बैठक के दौरान जो बातचीत हुई है इसी के आधार पर बहुत जल्द कैबिनेट का निर्णय होगा। आपको बता दें कि पिछले कुछ वक्त से बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर जमकर सियासत हो रही है और इस मामले को लेकर राजद और जदयू एक स्वर में अपनी आवाज को बुलंद कर रहे थे। ऐसे में सर्वदलीय बैठक में अंतत: जाति आधारित गणना कराने पर सहमति बनी।
सर्वदलीय बैठक के बाद क्या बोले नीतीश ?
नीतीश कुमार ने कहा कि सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि बिहार में जाति आधारित गणना की जाएगी। सब लोगों का चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों, इसके तहत पूरा का पूरा आकलन किया जाएगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर और तेजी के साथ काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जो भी संभव हो मदद दी जाएगी, जनगणना कार्य में लगाए जाने वाले लोगों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नीतीश कुमार के संबोधन से तो स्पष्ट हो गया कि सभी जाति और धर्म के लोगों की गणना की जाएगी। ऐसे में मुस्लिमों के भीतर मौजूद उपजातियों की भी गणना होगी। नीतीश कुमार ने हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की जातियों की गणना करने का फैसला लिया है। आजादी के बाद से अब तक जितनी बार भी जनगणना हुई है उसमें मुस्लिमों को सिर्फ धर्म के आधार पर देखा जाता रहा है। लेकिन बिहार में होने वाली जाति आधारित गणना में ऐसा नहीं होगा। उन्हें महज धर्म के आधार पर नहीं देखा जाएगा बल्कि उसमें मौजूद जातियों, उपजातियों की भी गणना होगी।
उच्च जातियों को मिलता है फायदा
मुस्लिमों की उच्च जातियों को ही महज सभी सुविधाओं का लाभ मिलता है लेकिन मुस्लिमों में भी हिंदुओं की तरह सवर्ण, पिछड़े और दलित समूह के लोग हैं। जिनकी उपजातियां भी होती हैं। ऐसे में बिहार में संपूर्ण रूप से जाति आधारित गणना होगी। ताकि एक स्पष्ट आंकड़ा सभी के सामने आ सके और फिर उस आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ हर एक तक पहुंचाया जा सके। आपको बता दें कि मुस्लिमों की जातियां तीन प्रमुख वर्गों और सैकड़ों बिरादरियों में विभाजित हैं। ऐसे में जाति आधारित जनगणना से अहम आंकड़ा एकत्रित हो सकता है।
क्या है गणना कराने का उद्देश्य ?
नीतीश कुमार ने बताया कि हम सब लोगों की राय है, लोगों को आगे बढ़ाने का, लोगों के फायदे के लिए ये काम हो रहा है। हम लोगों की योजना यही है कि सबका ठीक ढंग से विकास हो सके। जो पीछे हैं, उपेक्षित हैं, उसकी उपेक्षा न हो। सब आगे बढ़ें। इन सब चीजों को ही रखकर के हम लोगों ने तय किया और इसका नामकरण करने जा रहे हैं जाति आधारित गणना।