By अंकित सिंह | Nov 18, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा इस सप्ताह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि वोट जिहाद और धर्मयुद्ध जैसे बयान धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए सही नहीं हैं। हालांकि प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के दौरान वोट जिहाद शुरू हुआ था। इस बार भी यह जारी है। यही कारण है कि वोट जिहाद के पलटवार के रूप में वोटो का धर्म युद्ध भाजपा लेकर सामने आई है। उन्होंने यह बात स्वीकार किया कि वोट जिहाद के नारे ने विपक्ष के हित में काम किया और लोकसभा चुनाव में विपक्ष को इसका फायदा भी हुआ।
नीरज दुबे ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव में जो महाराष्ट्र में उसका प्रदर्शन था, उससे काफी कुछ सीखकर, समझकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। भाजपा को पता है कि थोड़ी सी भी चूक उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यही कारण है कि भाजपा हिंदू वोटो को पूरी तरीके से लामबंद करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष के द्वारा यह हवा बनाई गई कि अगर भाजपा 400 सीटें लेकर आती है तो एक समाज के खिलाफ फैसले लिए जा सकते हैं। यह कहीं ना कहीं भाजपा के प्रदर्शन पर बुरा असर डाल गया और भाजपा 240 पर ही सिमट गई। इसी फार्मूले को महाराष्ट्र और झारखंड में भी विपक्ष की ओर से आजमाने की कोशिश की जा रही है। इसी के काट के तौर पर भाजपा की ओर से वोटो का धर्म युद्ध लाया गया है। इतना ही नहीं बीजेपी एक है तो सेफ है और बटेंगे तो कटेंगे के नारे के इस्तेमाल को लेकर भी काफी मुखर दिखाई दे रही है।
नीरज दुबे ने कहा कि महाराष्ट्र में इस बार असली और नकली का भी चुनाव है। इस चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस को कितना फायदा और नुकसान होता है, इस पर तो सब की निगाहें रहेंगी ही, लेकिन निगाहें इस पर भी होंगी कि शिवसेना का असली वारिस कौन है और एनसीपी का असली वारिस कौन है? 2024 के आम चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा ने क्या गलती की थी, इसकी भी समीक्षा जरूर हुई होगी क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा का संगठन मजबूत है। बावजूद इसके अगर पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में खुद नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस जैसे पार्टी के दिग्गज नेता हैं। उन्हें जमीनी नेता माना जाता है। ऐसे में भाजपा रणनीति के तहत ही चुनावी मैदान में उतरी है। बटेंगे तो कटेंगे नारे को लेकर हो रहे विवाद पर नीरज दुबे ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भाजपा इसका विरोध कर रही है। हो सकता है किसी रणनीति के तहत अजित पवार या फिर अशोक चह्वाणन जैसे नेता इस नारे का विरोध कर रहे हो ताकि मुस्लिम वोट जो मिलनी हो वह मिल सके।
झारखंड को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की ओर से जिस तरीके से बयान दिए गए हैं, वह पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि झारखंड का पूरा चुनाव भाजपा ने घुसपैठियों के ही मुद्दे पर लड़ा है और कांग्रेस के नेता घुसपैठियों को ही 450 रुपए में सिलेंडर देने की बात कर रहे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि जो चीज कांग्रेस के भीतर हैं, वह सामने आ रही हैं। भाजपा यही बात तो बार-बार कहती रही है कि कांग्रेस और झामुमो की वजह से झारखंड घुसपैठियों का गढ़ बन रहा है। ऐसे में गुलाम अहमद मीर के बयान ने भाजपा को कांग्रेस पर निशाना साधने का बड़ा मौका दे दिया।