By अभिनय आकाश | Dec 08, 2021
रिजर्व बैंक के आप बोलचाल की भाषा में समझें तो वो देश के सभी बैंकों का प्रधानमंत्री है। देश में जितने भी सरकारी या गैर-सरकारी बैंक हैं इनकी निगरानी करना रिजर्व बैंक का काम है। रिजर्व बैंक एक पॉलिसी बनाकर इन बैकों को देती है जिसके आधार पर बैंकों को अपना काम करना होता है। भारतीय रिर्जव बैंक ने आज प्रेस कॉनफ्रेंस करते हुए मौद्रिक समीक्षा नीति के नतीजे जारी किए। इसमें नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद अपने संबोधन में कहा कि भरोसेमंद, मजबूत और समावेशी पुनरुद्धार बनाये रखना केंद्रीय बैंक का मिशन है।
आरबीआई गवर्नर की 10 बड़ी बातें
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4% रहेगा।
रिवर्स रेपो रेट भी बिना किसी बदलाव के साथ 3.35% रहेगा।
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी(MSF) रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25% रहेगा।
2021-22 में रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.5% पर बनाए रखा गया है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(CPI) मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
पेट्रोल, डीजल पर करों में कटौती से मुद्रास्फीति में टिकाऊ आधार पर कमी आएगी।
बैंकों के लिये विदेशों में स्थित शाखाओं में पूंजी लगाने, लाभ भेजने के नियम को सुगम बनाया।
डिजिटल भुगतान के लिये ग्राहकों पर लगने वाले शुल्कों की समीक्षा का प्रस्ताव।
यूपीआई (यूनिफाइड पेंमेंट इंटरफेस) के जरिये लेन-देन बढ़ाने पर जोर।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक सात-नौ फरवरी, 2022 को होगी।
रेपो रेट क्या होते हैं?
रिजर्व बैंक का काम होता है नीतिगत दरों पर फैसला करना। नीतिगत दर जिनके आधार पर रिजर्व बैंक और दूसरे कमर्शिल बैंकों के बीच लेन-देन होता है। बाकी सारे बैंक लोन लेते हैं रिजर्व बैंक से कम समय के लिए। वो लोन जिस दर पर लिया जाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो मतलब रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कितने ब्याज पर पैसा दे रहा है।
मौद्रिक नीति की समीक्षा क्यों?
आरबीआई हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है। समीक्षा में अर्थव्यवस्था से जुड़े पक्षों को बारिकी से परखा जाता है। आरबीआई अर्थव्यवस्था में पैसों की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। नीतिगत ब्याज दरें घटाने या बढ़ाने का फैसला लिया जाता है।
मौद्रिक नीति के लक्ष्य
महंगाई पर लगाम लगाना
बाजार में स्थिर कीमतें कायम रखना
तय आर्थिक विकास दर का लक्ष्य हासिल करना
रोजगार के अवसर तैयार करना