By प्रज्ञा पाण्डेय | Dec 30, 2023
आज पौष माह की अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है, इसका हिन्दू धर्म में खास महत्व है। इस दिन गणपति की पूजा और कुछ विशेष उपाय साधक को हर कार्य में सफलता दिला सकते हैं तो आइए हम आपको अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जाने अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के बारे में
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य के दौरान प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। हर माह अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और पूर्णिमा तिथि के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, 30 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। इस दिन जल से आचमन करने के बाद भगवान गणेश को दूर्वा, फूल, माला, सिंदूर, गीला अक्षत अर्पित करें। भगवान गणेश को मोदक या बूंदी के लड्डू प्रसाद में चढ़ाएं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश को समर्पित व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि और धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
संकष्टी चतुर्थी के हैं कई नाम
संकष्टी चतुर्थी भक्तों के बीच में कई नामों से प्रसिद्ध है। कहीं इसे संकट चौथ कहा जाता है तो कोई इसे संकटहारा के नाम से जानता है। मंगलवार को पड़ने वाला चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी छः महीने में एक बार आती है। इस दिन व्रत रहने से पूर्ण संकष्टी का फल मिलता है। दक्षिण भारत में यह व्रत बहुत हर्ष के साथ मनाया जाता है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा
संकष्टी चतुर्थी से सम्बन्धित कई कथाएं प्रचलित है। एक बार शिवजी और माता पार्वती एक दूसरे साथ समय व्यतीत कर रहे थे। तब मां पार्वती को चौपड़ खेलने की इच्छा हुई। लेकिन इस खेल में सवाल यह उठा कि दोनों के बीच हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इस समस्या से निपटने के लिए भगवान शिव ने घास-फूंस का एक बालक बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। इसके बाद पुतले से कहा कि अब हार-जीत का फैसला करना।
चौपड़ खेलने के दौरान पार्वती तीन बार जीतीं। लेकिन बालक से पूछने पर उसने उत्तर दिया कि महादेव जीते। इस पर माता पार्वती बहुत क्रुद्ध हुईं और उन्होंने उसे कीचड़ में पड़ने रहने का अभिशाप दे दिया। इससे बालक दुखी हो गया उसने देवी से प्रार्थना की। तब देवी ने कहा कि आज से एक साल बाद यहां नागकन्याएं आएंगी उनके कहे अनुसार तुम गणेश जी की पूजा करना। ऐसा करने तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। उस बालक ने गणेश जी का व्रत किया। उपवास से देवता प्रसन्न हुए और उन्होने बालक से वर मांगने को कहा। बालक ने कहा कि मुझे अपने माता-पिता से मिलने कैलाश पर्वत जाना है। आप मुझे आर्शीवाद दें। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। इसके बाद उसने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए 21 दिन तक गणेश जी का व्रत करने से माता पार्वती प्रसन्न हो गयीं।
अखुरथ संकष्टी पूजा में इन वस्तुओं का करें इस्तेमाल
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा के समय गणेश जी को लाल पुष्प या गेंदे का फूल, लाल वस्त्र, सिंदूर, चंदन, अक्षत्, दूर्वा, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं। गणपति बप्पा को मोदक और लड्डू पसंद हैं। उनको इनका भोग लगाएं। फिर प्रसाद वितरण करें। दिनभर फलाहार पर रहें और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करें। पूजा के समापन के बाद गणेश जी से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। शनिवार के दिन शमी के पेड़ की पूजा करें। उसकी जड़ पर जल चढ़ाएं और शाम के समय उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि देव को शमी के पुष्प, नीले फूल, काला तिल, सरसों का तेल आदि अर्पित करें। इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को शनि मंदिर जाकर छाया दान करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्ट कम होते हैं। शनिवार को गरीबों को काला कंबल, गरम वस्त्र, छाता, जूते, चप्पल, भोजन, दवा आदि का दान करना चाहिए।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन ऐसे करें पूजा
संकष्टी चतुर्थी का दिन खास होता है, इसलिए इस दिन खास पूजा करें। सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नानआदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए ईशान कोण में चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें। गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। ॐ 'गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश से प्रार्थना करें। इसके उपरांत एक केले का पत्ता लें, इस पर आपको रोली से चौक बनाएं। चौक के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें। पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 दिसंबर 2023 को सुबह 09.43 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन 31 दिसंबर 2023 को सुबह 11.55 मिनट बजे होगा। ऐसे पंचांग के मुताबिक अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 दिसंबर 2023 रखा जाएगा। इस पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08.03 मिनट से सुबह 09.30 बजे तक रहेगा। वहीं शाम को पूजा का शुभ मुहूर्त 06.14 बजे से रात 07.46 मिनट बजे तक रहेगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
गणपतिजी का इस दिन सच्चे दिल से उनकी पूजा और व्रत करता है तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परिवार के सभी कष्ट दूर होते हैं और कर्ज खत्म हो जाता है।
उपवास की अलग-अलग विधि
संकष्टी चतुर्थी के उपवास में सभी चतुर्थी का महत्व समान है, लेकिन इसके विधान में अंतर है। गणेश पुराण के अनुसार सावन मास की चतुर्थी में साधक मोदक खा कर व्रत रहे, भाद्रपद की चतुर्थी में दूध का सेवन करें और अश्विन मास की चतुर्थी में पूर्ण उपवास करे। इसके अलावा कार्तिक महीने की चतुर्थी में दूध का आहार करें और मार्गशीर्ष में निराहार रहे। पौष मास में गौ मूत्र, माघ में तिल और फाल्गुन में घी- शर्करा, चैत्र में पंचगव्य, वैशाख में शतपत्र, ज्येष्ठ में केवल घी और आषाढ़ महीने की चतुर्थी पर केवल शहद खाना चाहिए।
- प्रज्ञा पाण्डेय