गठबंधन के बल पर सरकार की घेराबंदी करने में जुटी है समाजवादी पार्टी
उत्तर प्रदेश के आगामी विधनसभा चुनावों को देखते हुए सभी राजनैतिक दलों ने सक्रियता बढा दी है। जनता तक सीधे पहुंचने के लिए राजनैतिक दल अपने अपने तरीकों से प्रयास तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ जातिगत समीकरण भी अपने पक्ष में करने के लिए खूब जोड़ तोड़ का गणित लगा रहे हैं। करीब 50 प्रतिशत ओबीसी और 22 प्रतिशत दलित आबादी वाले उत्तर प्रदेश में सभी राजनैतिक दल इन दोनों समुदायों का समर्थन हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
गठबंधन के सहारे पिछड़ों को साधने में जुटा विपक्ष
आपसी कलह और पारिवारिक झगड़े से जूझ रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 'समाजवादी विजय यात्रा' निकाल कर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास कर रहे हैं। अखिलेश जी लगातार कह रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी प्रदेश के अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का प्रयास करेगी। असल में अखिलेश यादव जातिगत समिकरणों को साधने के लिए ही गठबंधन का सहारा ले रहे हैं। अभी तक जयंत चौधरी की रालोद, केशव देव मौर्य का महान दल और संजय चौहान की जनवादी पार्टी के बाद अब ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव देव भारतीय समाज पार्टी के साथ भी समाजवादी पार्टी का गठबंध तय माना जा रहा है।
राजभर ने मंच से कहा, कहा- बंगाल में `खेला होबे` के बाद `यूपी में खदेड़ा होबे`
मऊ में सुभसपा के 19वें स्थापना समारोह पर अखिलेश यादव ने कहा कि जिस दरवाजे से BJP सत्ता में आई उसे ओम प्रकाश राजभर ने बंद कर दिया है।
राजभर ने कहा कि 2022 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे. वहीं, सरकार बनने पर घरेलू बिजली का बिल 5 साल तक माफ करने, दलित पिछड़ा अल्पसंख्यक के वोटों की बात करते हुए छोटी नौकरीयां करने वाले पीआरडी, होमगार्डों की भी तनख्वाह पेंशन दोगुनी करने की बात कही। राजभर ने मंच से कहा बंगाल में `खेला होबे` के बाद `यूपी में खदेड़ा होबे`
उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की आबादी करीब चार फीसद है। 403 विधानसभा सीटों में सौ से अधिक सीटों पर राजभर समाज का प्रभाव है। खासतौर से पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक जिलों में राजभर समाज का वोट निर्णायक हैसियत में है। वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, देवरिया, बलिया, मऊ आदि जिलों की सीटों पर 18-20 फीसद वोट राजभर समाज का ही है। 2017 में भाजपा ने राजभर समाज का मजबूत प्रतिनिधित्व कर रहे सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर से हाथ मिलाया और आठ सीटें दीं जिसमें सुभासपा चार जीतने में कामयाब रही। ओम प्रकाश मंत्री बने मुख्यमंत्री योगी से अनबन के बाद राजभर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे कर गठबंधन से बाहर हो गए। 2021 में राजभर ने अखिलेश के साथ हाथ मिला कर भाजपा को बड़ी चुनौती दे दी है। तमाम छोटे दलों से गठबंधन के अतिरिक्त अखिलेश यादव लगातार अन्य दलों के बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराने का काम भी कर रहे हैं। हाल ही के दिनों में सपा में शामिल हुए नेताओं में ज्यादातर नेता बसपा से आते हैं और इनमें से अधिकांश नेता दलित और ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दलित समाज को रिझाने के लिए अखिलेश यादव ने 'बाबा साहब वाहिनी' नाम के एक फ्रंटल संगठन का भी गठन किया है। साथ ही सपा के पोस्टर में आजकल बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के फ़ोटो को भी प्रमुखता से जगह दी जा रही है।