By अजय कुमार | May 25, 2022
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान की नाराजगी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की नींद हराम कर रखी है। एक तरफ आजम हैं कि अखिलेश पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, उनके साथ विधानसभा में बैठने से कतरा रहे हैं। यही नहीं लखनऊ में रहते आजम ने अखिलेश से दूरी बना रखी है, जबकि शिवपाल से मेल मिलाप का सिलसिला जारी है। तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव मुस्लिम वोट बैंक की सियासत के चलते आजम खान के सामने नतमस्तक होते जा रहे हैं। आजम खान चाहते थे कि कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजा जाए तो अखिलेश ने भेज दिया। इसी तरह से रामपुर लोकसभा सीट जिससे हाल में आजम खान ने त्याग पत्र दिया है, वहां पर भी आजम अपनी पसंद का प्रत्याशी उतारना चाहते हैं, इसके लिए भी अखिलेश तैयार हो ही जाएंगे, क्योंकि आजम के बिना रामपुर में कोई भी चुनाव जीतना सपा के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव भी है। हालांकि आजम सार्वजनिक रूप से यही कह रहे हैं कि रामपुर से कोई भी भाई लोकसभा का चुनाव लड़े, उनसे कोई मतलब नहीं है, लेकिन उनकी बातों में तंज ज्यादा नजर आता है।
अखिलेश यादव ने कपिल सिब्बल को राज्यसभा का चुनाव लड़ाने का फैसला लेकर आजम को मनाने का जो प्रयास शुरू किया है, उसमें आगे चलकर कपिल सिब्बल भी महत्वपूर्ण किरदार निभा सकते हैं। कपिल के कहने पर आजम सपा प्रमुख से अपनी नाराजगी भूल सकते हैं। वैसे भी सियासत में दोस्ती और दुश्मनी लम्बे समय तक नहीं चलती है। बहरहाल, कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे कबिल सिब्बल ने राज्यसभा की सीट की कीमत पर आखिरकार अपना नया ठिकाना तलाश लिया है। हालांकि सिब्बल ने निर्दलीय प्रत्याशी की हैसियत से नामांकन किया है, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी का समर्थन हासिल होगा। कानून के बड़े खिलाड़ी कपिल सिब्बल न तो कभी नेताजी मुलायम सिंह यादव के खास रहे न ही अखिलेश यादव के करीब, लेकिन नाराज चल रहे आजम खान को मनाने के चक्कर अखिलेश को सियासत के मैदान में आजम के सामने ‘हथियार’ डालना ही पड़ गया।
आजम खान को जेल से बेल पर बाहर निकालने में कबिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी के बाद कपिल सिब्बल के सपा की तरफ से राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा शुरू हो गई थी। आजम ने भी मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा था कि यदि सिब्बल को राज्यसभा भेजा जाता है तो उन्हें सबसे अधिक खुशी होगी। कपिल सिब्बल ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि वह सपा के सर्मथन से राज्यसभा चुनाव लड़ रहे हैं, इसके साथ ही सिब्बल ने यह भी घोषणा कर दी है कि 16 मई को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल अभी कपिल सिब्बल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। उनका कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। कपिल सिब्बल ने टिकट फाइनल होते ही दावा किया है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ एक गठबंधन बनाना चाहतें हैं, जिससे 2024 में मोदी सरकार को हटाया जा सके।
कपिल सिब्बल का कांग्रेस छोड़ना अप्रत्याशित नहीं था। वह कांग्रेस आलाकमान से काफी नाराज चल रहे थे। वैसे भले कपिल सिब्बल ने राज्यसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के समर्थन से नामांकन भरा हो लेकिन उन्हें राज्यसभा का टिकट देने के लिए लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से भी ऑफर था लेकिन कपिल सिब्बल ने यूपी से ही सांसद बनने को तवज्जो दी। कपिल सिब्बल की गिनती मोदी विरोधी नेता के रूप में होती है। वह मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। यह और बात है कि इसके चलते कई बार वह अपनी और कांग्रेस की किरकिरी भी करा चुके हैं। कपिल सिब्बल भले ही कई बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं, लेकिन आज भी उनकी पहचान नेता से अधिक अधिवक्ता के रूप में होती है। अखिलेश ने भी कपिल सिब्बल को राज्यसभा का चुनाव लड़ाने की जानकारी मीडिया को देते हुए यही बताया कि कपिल सिब्बल एक बड़े अधिवक्ता हैं।
बहरहाल, कपिल सिब्बल का टिकट तय करने के बाद अब सपा के पास दो और राज्ससभा सीटें जीतने लायक वोट बाकी रह गए हैं। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी ने अपने दो अन्य राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम भी करीब-करीब तय कर दिए हैं। लेकिन अभी अधिकृत सूचना जारी नहीं की गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश की धर्मपत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव को भी राज्यसभा भेज जा रहा है। इसी तरह जावेद अली खान को भी पार्टी राज्यसभा भेज रही है। वह पहले भी सपा के राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए जावेद अली की दावेदारी मजबूत हुई है। मालूम हो कि अभी तक राज्यसभा में सपा के पांच सदस्य हैं। इसमें कुंवर रेवती रमन सिंह, विशंभर प्रसाद निषाद और चौधरी सुखराम सिंह यादव का कार्यकाल चार जुलाई को खत्म हो रहा है।
गौरतलब है कि राज्यसभा में यूपी की 11 सीटों के लिए चुनाव 10 जून को होगा। इन सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इसके लिए नामांकन 24 से 31 मई तक दाखिल किए जाएंगे। एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 3 जून तक नाम वापस ले सकेंगे। 10 जून को सुबह 9 से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। शाम 5 बजे से मतगणना शुरू होगी। इन 11 सीटों में से भाजपा को सात व सपा को तीन सीटें मिलना लगभग तय है। सूत्रों के मुताबिक एक सीट के लिए 36 विधायकों का वोट चाहिए। भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं। ऐसे में उन्हें 7 सीट जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। सपा के पास 125 विधायक हैं। उसे 3 सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 11वीं सीट के लिए भाजपा व सपा एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी का प्रयास करेंगे।
-अजय कुमार