By नीरज कुमार दुबे | Nov 17, 2022
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को चुनावों के समय ही अपने चाचा शिवपाल यादव याद आते हैं और चुनाव के बाद वह उनसे दूरी बना लेते हैं। इस साल हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान अखिलेश यादव ने ना सिर्फ शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ गठबंधन किया बल्कि शिवपाल को सपा के टिकट पर ही विधानसभा का चुनाव लड़वाया। लेकिन चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहे तो विधायक दल की बैठक में शिवपाल को आमंत्रित ही नहीं किया गया। इसके बाद भी लगातार शिवपाल सिंह यादव को अपमानित किया गया लेकिन अब मैनपुरी में संसदीय सीट पर उपचुनाव होना है और चूंकि स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की विरासत पर अधिकार का सवाल है तो अखिलेश ने अपनी पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव को यहां से सपा उम्मीदवार बनाया है लेकिन भाजपा ने यहां से मजबूत उम्मीदवार उतार दिया है तो अखिलेश को लग रहा है कि कहीं आजमगढ़ और रामपुर जैसी हालत मैनपुरी में ना हो जाये। इसीलिए अखिलेश को ऐन चुनावी मौके पर एक बार फिर अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव की याद आई है। गुरुवार को उन्होंने अपनी पत्नी के साथ शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की और जीत का आशीर्वाद मांगा। इस मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘‘नेता जी और घर के बड़ों के अलावा मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है।' अखिलेश यादव ने इसके साथ ही अपनी, डिंपल, शिवपाल यादव और उनके पुत्र आदित्य यादव की एक तस्वीर भी ट्वीट की।
इससे पहले, मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक बनने के अगले दिन शिवपाल यादव ने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी और उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को जीत दिलाने का आह्वान किया था। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है। शिवपाल का मैनपुरी के लोगों के साथ करीबी नाता है। मुलायम सिंह यादव के समय में भी उनकी अनुपलब्धता की स्थिति में क्षेत्र में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में शिवपाल ही उनके प्रतिनिधि के रूप में जाया करते थे।
शिवपाल यादव का डिंपल के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए उतरना महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भाजपा ने इस सीट से रघुराज सिंह शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है जो कभी शिवपाल यादव के करीबी सहयोगी थे। अब देखना होगा कि जनता शिवपाल की बहू को चुनती है या उनके शिष्य को। हम आपको यह भी बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर लंबे समय से सपा का ही कब्जा है। इस सीट पर उपचुनाव के तहत मतदान पांच दिसंबर को होगा और नतीजे की घोषणा आठ दिसंबर को की जाएगी। बहरहाल, जहां सपा इस सीट पर जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है तो वहीं भाजपा नेताओं ने भी जीत के लिए जीजान एक कर दिया है।