By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 18, 2021
नयी दिल्ली| सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण पर रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाये हैं।
इनमें सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह बंद करना, ट्रकों के प्रवेश पर रोक और राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में छह ताप विद्युत संयंत्र बंद करना शामिल है।
आयोग ने मंगलवार को शीर्ष अदालत के निर्देश पर केंद्र, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के साथ बैठक की थी। उसने औद्योगिक प्रदूषण, तापीय संयंत्रों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से निपटने, धूल नियंत्रण और घरों से काम करने को प्रोत्साहित करने जैसे कुछ आपात कदम उठाये हैं।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे का उल्लेख किया जो दिल्ली तथा एनसीआर में वायु प्रदूषण पर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
हलफनामे में औद्योगिक प्रदूषण से निपटने के मुद्दे पर उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए कहा गया, ‘‘एनसीआर क्षेत्र वाले राज्यों और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र सरकार प्रभावी प्रवर्तन प्रणालियां लागू करेंगी जिनमें औद्योगिक इकाइयों द्वारा वायु प्रदूषण उत्सर्जन नियंत्रण नियमों के अनुपालन पर निगरानी करने तथा उचित दंडनीय कार्रवाई आदि के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के दलों की पर्याप्त संख्या को तैनात करके गहन और सतत अभियान चलाना शामिल हैं।’’
हलफनामे में कहा गया कि दिल्ली के 300 किलोमीटर दायरे में स्थित 11 तापीय विद्युत संयंत्रों में से पांच को परिचालन जारी रखने की अनुमति दी गयी है और बाकी छह कम से कम 30 नवंबर तक बंद रहेंगे।
इसमें कहा गया, ‘‘ऊर्जा मंत्रालय के सचिव ने सूचित किया कि संयंत्रों के बंद होने से यदि बिजली संबंधी जरूरत आई तो उसे दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे से बाहर स्थित किसी अन्य तापीय संयंत्र से विद्युत आपूर्ति के माध्यम से पूरा किया जाएगा।’’
हलफनामे के अनुसार दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर 21 नवंबर तक पाबंदी होगी और इसके लिए समय बढ़ाने पर बाद में समीक्षा हो सकती है। आवश्यक वस्तुओं को लेकर जाने वाले ट्रकों को आवाजाही की अनुमति होगी।
इसमें कहा गया, ‘‘एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाले वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन चलना गंभीर मामला है और अधिकारी सुनिश्चत करेंगे कि वे सड़कों पर नहीं चलें।’’
एनसीआर के राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि प्रदूषण फैलाते दिख रहे वाहनों को चलने की अनुमति नहीं हो और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) के बिना वाहनों को सड़कों पर चलने नहीं दिया जाए।
हलफनामे के मुताबिक एनसीआर के राज्यों की सरकारें और दिल्ली सरकार अपने कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारियों को 21 नवंबर तक घरों से काम करने की अनुमति देंगी और बाद में समय की समीक्षा की जाएगी।