By रितिका कमठान | Apr 10, 2025
एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट ने जैसे ही फ्लाइट की लैंडिंग कराई, उसके बाद पायलट की मौत हो गई। घटना नौ अप्रैल की है, जब पायलट फ्लाइट से उतरा तो उसकी जान चली गई। पायलट की उम्र 28 वर्ष बताई गई है। मौत से पहले ही उन्होंने श्रीनगर से दिल्ली की उड़ान को सुरक्षित रुप से ऑपरेट किया था।
इस दौरान उनकी तबीयत अचानक से खराब हो गई। उन्हें कॉकपिट में उल्टियां हुई। पायलट का नाम अरमान बताया गया है। हाल ही में वो शादी के बंधन में बंधे थे। उड़ान भरने के दौरान उनकी तबीयत ठीक थी। फ्लाइट ऑपरेट करने के दौरान ही उन्हें उल्टी होने लगी।
इस घटना के बाद एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने भी बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया कि हमें एक मूल्यवान सहकर्मी की चिकित्सा स्थिति के कारण मृत्यु पर गहरा दुख है। इस गहन दुःख की घड़ी में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "हम उन्हें हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं, क्योंकि हम सभी इस भारी नुकसान से निपट रहे हैं।"
प्रवक्ता ने कहा, "हम सभी संबंधित पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वे इस समय गोपनीयता का सम्मान करें और अनावश्यक अटकलों से बचें, जबकि हम उचित प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
ये है डीजीसीए का निर्देश
बता दें कि फरवरी में ही नागरिक विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें चरणबद्ध रोडमैप का प्रस्ताव दिया था, जिसके तहत विमान के क्रू और चालक दल के सदस्यों की थकान को कम करने के लिए पायलटों के लिए उड़ान की अवधि और समय पर सख्त सीमाएं तय किए जाने का सुझाव दिया गया था। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो डीजीसीए द्वारा प्रस्तावित इस रोडमैप में एक जुलाई 2025 से पायलटों के साप्ताहिक आराम को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करने और 1 नवंबर 2025 से रात्रि उड़ानों को चरणबद्ध तरीके से कम करने का प्रस्ताव है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी को डीजीसीए को निर्देश दिया कि वह पायलटों के लिए ड्यूटी और आराम के घंटों के संशोधित मानदंडों को 1 जुलाई से चरणबद्ध तरीके से लागू करने की अपनी समयसीमा का सख्ती से पालन करे।
न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू को डीजीसीए के वकील ने बताया कि उन्होंने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि नागरिक उड्डयन आवश्यकता (सीएआर) के 22 संशोधित खंडों में से 15 को 1 जुलाई, 2025 से लागू किया जाएगा और शेष को 1 नवंबर तक लागू कर दिया जाएगा।
याचिकाकर्ता पायलट एसोसिएशन के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि वह निर्देश पारित करे कि प्रतिवादियों द्वारा हलफनामे में निर्धारित समयसीमा का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इस पर डीजीसीए के वकील ने कहा, "हमने पहले ही हलफनामा दाखिल कर दिया है और हम हलफनामे से बंधे हैं। अदालत रिट याचिकाओं का निपटारा करने पर विचार कर सकती है, क्योंकि अब याचिकाओं में कुछ भी बचा नहीं है।"