By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 07, 2020
सितंबर के आखिर में भारतीय जनता पार्टी की नई राष्ट्रीय टीम की घोषणा होने के बाद से सबकी निगाहें मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार पर टिकी हुई है। फिलहाल इसमें अभी भी वक्त लग सकता है। यह माना जा रहा है कि जिन लोगों को संगठन में भूमिका दे दी गई है उन्हें फिलहाल तो मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद कम है। हालांकि संगठन में भी नेताओं को शामिल करना इतना आसान नहीं था। लेकिन उससे भी ज्यादा मुश्किल अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है कि किन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाए और किन्हें नहीं? इसको लेकर चर्चाएं तेज है। पार्टी और सरकार से जुड़े नेताओं का भी कहना है कि कैबिनेट का विस्तार जल्द होगा लेकिन कब होगा इसको लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
पहले यह माना जा रहा था कि संगठन में थोड़े बहुत बदलाव किए जाएंगे लेकिन बदलाव बड़े स्तर का हुआ। महामंत्री से लेकर सचिव स्तर तक में बड़े बदलाव देखने को मिले। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम में युवाओं को मौका दिया है। इसी को आधार बनाकर अब यह कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार में भी नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। साथ ही साथ कैबिनेट विस्तार के समय जाति और क्षेत्रीय समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि इस बार के कैबिनेट विस्तार में उन चेहरों को मौका दिया जा सकता है जिन्हें संगठन से बाहर कर दिया गया है। हालांकि विस्तार को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं।
इस बार के कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का शामिल होना तय है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश उप चुनाव के बाद ही मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना है। इसके अलावा मोदी कैबिनेट विस्तार के लिए बिहार चुनाव परिणाम का भी इंतजार किया जा सकता है। इसका कारण यह भी है कि फिलहाल एनडीए में हिस्सा होने के बावजूद जनता दल यूनाइटेड मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं है। बिहार चुनाव के बाद अगर नतीजे पक्ष में रहते हैं तो नीतीश कुमार की पार्टी से भी चेहरों को मौका दिया जा सकता है। इसके अलावा कई राज्यों में उपचुनाव है। ऐसे में उन राज्यों में भाजपा के परिणाम भी मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में अपना अहम रोल अदा कर सकते हैं।
मोदी कैबिनेट के विस्तार में इसलिए भी देर हो रही है क्योंकि भाजपा लगातार नए गठबंधन सहयोगियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है। पहले शिवसेना और अब अकाली दल के अलग हो जाने से फिलहाल उनके कोटे का मंत्री पद खाली है। भाजपा यह मानती है कि इन क्षेत्रीय दलों को एनडीए में जोड़ने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो तो उन्हें भी मौका दिया जा सकता है। इसके लिए आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस से लगातार बातचीत चल रही है। वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि कई दौर की बातचीत के बाद दोनों दलों के बीच का गठबंधन अब होने वाला है। इसके बाद से अब और भी दलों को भाजपा जोड़ने की कवायद कर रही है। ऐसे में लगभग यह माना जा सकता है कि दिवाली के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट का विस्तार संभव हो पाएगा।