By अभिनय आकाश | Aug 01, 2020
आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास में पांच अगस्त की तारीख एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली तिथि बनने जा रही है। जहां इस साल इसी तारीख को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन होने जा रहा है, वहीं पिछले वर्ष साल 2019 को इसी तारीख को मोदी सरकार ने संसद में वह बिल पेश किया था जिससे जम्मू कश्मीर को विशेष प्रावधान देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए निष्प्रभावी हो गए थे। इसके साथ जम्मू कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेशो में परिवर्तित कर दिया गया था। धारा 370 को निष्प्रभावी बनाने का निर्णय जितना ऐतिहासिक और साहसिक था, उतना ही विवादित भी। घाटी में अमन और शांति की स्थापना करना सरकार का मुख्य मकसद है और इसमें 370 हटने के बाद काफी हद तक सफलता भी मिली है। प्रदेश का किसान या आम इंसान मोदी सरकार ने सबका साथ सबका विश्वास के सभी का ध्यान रखने की पूरजोर कोशिश की।
कश्मीर में 370 हटने के बाद
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के lकरीब तीन महीने बाद ही केंद्र सरकार राज्य के सेब किसानों के लिए बड़ी सौगात लेकर आई। सेब उत्पादकों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए नैफेड (राष्ट्रीय कृषि सहकारिता विपणन फेडरेशन) किसानों से बिना किसी बिचौलिए के सीधे सेब खरीदेने का निर्णय लिया गया। मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (एमआइएस) के तहत नैफेड ने खरीदी की प्रक्रिया की। इससे करीब सात लाख किसान लाभान्वित होने की बात कही गई।
कश्मीर में 7 लाख परिवार सेब व्यवसाय पर निर्भर
जम्मू कश्मीर में 67% कश्मीरी यानी 7 लाख परिवार सेब व्यवसाय पर निर्भर है। देश के कुल सेब उत्पादन का 79.3% का हिस्सा से होता है। जम्मू कश्मीर से सालाना 6,500 करोड़ रुपये का सेब निर्यात होता है। पिछले साल कश्मीर में 20 लाख मैट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ है।
102 करोड़ जारी
बारिश-बर्फबारी से बासमती और सेब की फसल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 102 करोड़ रुपये जारी किए। राशि जम्मू, सांबा व कठुआ में बासमती उत्पादक किसानों तथा कश्मीर के सात जिलों के लिए जारी की गई।